एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहलवान अंतिम पंघाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। नरेंद्र मोदी ने लिखा कि फ्री स्टाइल 53 किलोग्राम भार वर्ग में महिला कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने पर अंतिम पंघाल को बधाई। पूरे राष्ट्र को अंतिम पंघाल पर गर्व है। हमेशा चमकते रहना और दूसरों को भी प्रेरणा देते रहना।
हिसार की रहने वाली रेसलर अंतिम पंघाल ने एशियन गेम्स में 53 किलो भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। भारतीय पहलवान ने मंगोलिया की वर्ल्ड चैंपियन बैट-ओचिर बोलोरतुया को 3-1 से हराकर मेडल पर कब्जा जमाया। एशियाई खेलों में यह भारत के लिए ओवरऑल 86वां मेडल रहा। पंघाल लगातार अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का दिल जीत रही है।
जीत चुकी कई है मेडल
एशियाई खेलों से पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 में 19 वर्षीय अंतिम पंघाल ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। वहीं एशियाई चैंपियनशिप 2023 में वे सिल्वर जीतने में कामयाब रही थीं। इसके अलावा अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप 2023 में उन्होंने गोल्ड अपने नाम किया था। अंतिम ने पहली बार एशियाई खेलों में हिस्सा लिया है और पहले ही इवेंट में उन्होंने ब्रॉन्ज अपने नाम कर लिया।
सीएम और डिप्टी सीएम दे चुके बधाई
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाना ने भी अंतिम पंघाल को बधाई दी है। सीएम ने लिखा कि एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए विश्व विजेता को हराकर रेस्लिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर हरियाणा की बेटी, महिला पहलवान अंतिम पंघाल को ढेर सारी बधाई। उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद। वहीं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट कर लिखा कि अंतिम आपका ये पदक देश की अंतिम पंक्ति में खड़ी लड़कियों को मुश्किलों से लड़ने की प्रेरणा देगा।
पिता की तपस्या है ‘अंतिम’
अंतिम पंघाल मूलत: हरियाणा के हिसार के भगाना गांव की रहने वालीं हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी अंतिम के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उन्हें वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग दिला सके। मगर किसान पिता रामनिवास ने भी जिद ठान ली थी कि बेटी को चैंपियन बनाकर रहूंगा। उन्होंने बिना सोचे-समझे अपनी डेढ़ एकड़ जमीन, गाड़ी, ट्रैक्टर से लेकर कई मशीनें बेच दी। गांव में कोचिंग की सुविधा नहीं थी तो बेटी के सपने को पंख लगाने के लिए गांव ही छोड़ दिया। शुरुआत में अंतिम ने महाबीर स्टेडियम में एक साल तक अभ्यास किया। अब बीते चार साल से हिसार के गंगवा में रहकर बाबा लालदास अखाड़ा में ट्रेनिंग करती हैं।
बड़ी बहन ने दी कुश्ती खेलने की सिख
अंतिम पंघाल की बड़ी बहन सरिता कबड्डी की नेशनल प्लेयर हैं। सरिता को खेलता देख छोटी बहन अंतिम ने भी खेलने की बात कही। मगर सरिता ने अपने अनुभव से उनका मार्गदर्शन किया और समझाया कि टीम गेम में भेदभाव होता है इसलिए कबड्डी न खेलकर कुश्ती शुरू करो। कुश्ती सिंगल प्लेयर गेम है। ऐसे में मेहनत रंग लाने की संभावना ज्यादा है, उसके बाद से अंतिम ने पीछे पलटकर नहीं देखा और मैट पर रोजाना नया सबक सीखते चलीं गईं।
अब ओलिंपिक मेडल की आस
अंतिम पंघाल अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली आठवीं भारतीय महिला पहलवान बन चुकीं हैं, उनसे पहले अलका तोमर (2006), गीता फोगाट (2012), बबीता फोगाट (2012), पूजा ढांडा (2018), विनेश फोगाट (2019, 2022) और सरिता मोर (2021), अंशू मलिक (रजत) यह कमाल कर चुकीं हैं। इस जीत के साथ अंतिम ने अगले साल होने वाले पेरिस ओलिंपिक का टिकट भी हासिल कर लिया। यह खेलों के महाकुंभ में कुश्ती में भारत का पहला कोटा भी है।