weather 8 6

क्या आप भी खुशी, गुस्सा या डर में अचानक नियंत्रण खोते हैं? जानिए वजह

Health

➤एमिग्डला हाइजैक: जब भावनाएँ दिमाग पर हावी हो जाती हैं
➤लक्षण: गुस्सा, डर, पसीना, गूजबंप्स, अचानक तीखी प्रतिक्रिया
➤बचाव: माइंडफुलनेस, गहरी सांस, ट्रिगर पहचानना, योग और मेडिटेशन

कभी गुस्से के कारण चेहरा लाल हुआ है? या खुशी के मारे गूजबंप्स महसूस किए हैं? डर के कारण हथेलियों में पसीना आया है? ये सभी अनुभव एमिग्डला हाइजैक के कारण होते हैं।

हमारे दिमाग के बीचों-बीच दो छोटे, बादाम जैसे हिस्से होते हैं जिन्हें एमिग्डला कहा जाता है। ये हिस्से हमारे भावनात्मक और व्यवहारिक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। जब कोई भावना हमारे नियंत्रण से बाहर चली जाती है, जैसे अत्यधिक गुस्सा, डर या खुशी, तो फ्रंटल लोब—जो सोचने और तर्क करने के लिए जिम्मेदार होता है—काम करना बंद कर देता है। इसे ही एमिग्डला हाइजैक कहते हैं।

Whatsapp Channel Join

डॉ. प्रशांत गोयल के अनुसार, एमिग्डला हाइजैक तब होता है जब कोई परिस्थिति भावनात्मक रूप से भारी या तनावपूर्ण हो जाती है। इस दौरान शरीर में एड्रेनालिन और कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन रिलीज़ होते हैं, जिससे प्रतिक्रिया तीखी और असंतुलित हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप लोग चीखने, रोने या भागने लगते हैं।

लक्षण:

  • अचानक गुस्सा, डर या अत्यधिक खुशी
  • हाथों में पसीना, गूजबंप्स, धड़कन तेज होना
  • सोचने और तर्क करने की क्षमता में कमी
  • बाद में पछतावा, शर्मिंदगी या अपराधबोध

कैसे रोकें या कंट्रोल करें:

  1. माइंडफुलनेस: अपनी भावनाओं को पहचानें और महसूस करें कि शरीर में क्या हो रहा है।
  2. धीमी और गहरी सांस: 4 सेकंड में सांस लें, 4 सेकंड रोकें, 6 सेकंड में छोड़ें।
  3. ट्रिगर पहचानें: जानें कि कौन-सी परिस्थितियाँ आपको हाइजैक कर सकती हैं।
  4. रीजनिंग: घटना के बाद सोचें कि प्रतिक्रिया उचित थी या नहीं।
  5. योग और मेडिटेशन: नियमित अभ्यास से एमिग्डला की संवेदनशीलता घटती है और फ्रंटल कॉर्टेक्स एक्टिव रहता है।

अधिक जानकारियाँ:

  • यह केवल गुस्से में नहीं होता, बल्कि डर, अपमान, असुरक्षा, घबराहट या अत्यधिक तनाव में भी हो सकता है।
  • यह कोई मानसिक बीमारी नहीं है, बल्कि दिमाग की स्वाभाविक सुरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया है।
  • बच्चों में अधिक होता है क्योंकि उनके फ्रंटल लोब पूरी तरह विकसित नहीं होते।
  • बार-बार होने पर थेरेपी, CBT, माइंडफुलनेस और जरूरत पड़ने पर दवाएँ मददगार हो सकती हैं।
  • ज्यादा स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव भी एमिग्डला हाइजैक को बढ़ा सकते हैं।