Nishad Kumar

Paralympics 2024: निषाद कुमार ने हाई जंप में जीता सिल्वर मेडल, भारत के नाम सात पदक

हिमाचल प्रदेश Athletics Sports

फ्रांस में हुए 2024 Paralympics में 24 वर्षीय निषाद कुमार ने हाई जंप टी 47 इवेंट में रजत पदक जीता। अमेरिका के रोडरिक टाउनसेंड में पहले स्थान पर रहे थे। टाउनसेंड ने टोक्यो पैरालंपिक में भी स्वर्ण पदक जीता था।

भारत के स्टार एथलीट निषाद कुमार ने 1 सितंबर को पेरिस पैरालिंपिक 2024 में पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा में रजत पदक जीता। निषाद ने पैरालंपिक इतिहास में ऊंची कूद श्रेणी में अपना दूसरा और भारत का सातवां पदक जीता। निषाद कुमार ने 2.04 मीटर की छलांग के साथ दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि भारत के अन्य प्रतिभागी राम पाल ने अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 1.95 मीटर की बराबरी करते हुए सातवां स्थान हासिल किया। संयुक्त राज्य अमेरिका के तीन बार के पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता रॉडरिक टाउनसेंड-रॉबर्ट्स ने 2.08 मीटर की जंप के साथ गोल्ड मेडल जीता है।

निषाद को सिल्वर मेडल से करना पड़ा संतोष

निषाद और रॉडरिक दोनों ही 2.00 मीटर से आगे निकलने वाले केवल दो एथलीट थे। दोनों एथलीट अपने पहले प्रयास में 2.08 मीटर का पीछा करते हुए बार पर क्रैश कर गए, लेकिन अमेरिकी स्टार ने अपने दूसरे प्रयास में इसे सफलतापूर्वक पार कर लिया। निषाद ने भी 2024 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, लेकिन वह दूसरे प्रयास में भी बार से क्रैश कर गए, जिसके चलते उन्हें सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा।

निषाद कुमार हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के रहने वाले हैं। निषाद जब 8 साल के थे तो तभी एक हादसे में उनका दायां हाथ कट गया। जानवरों के लिए चारा काटते समय निषाद का हाथ मशीन में आ गया था, जिसके कारण उन्हें पैरा खेलों में आना पड़ा। इसके बाद भी उसने हार नहीं मानी और अब उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। निषाद की यह उपलब्धि उनके संघर्ष और मेहनत की कहानी को बयां करती है। एक छोटे से कस्बे से लेकर पेरिस तक का सफर निषाद के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहा।

माता-पिता ने किया सपोर्ट

निषाद को बचपन से ही खेल-कूद का शौक था। यही कारण है कि उनके माता-पिता ने भी उनका हमेशा सपोर्ट किया। निषाद बताते हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें कभी महसूस नहीं होने दिया की वह दिव्यांग हैं। उनके इस समर्थन के कारण ही उनका हौसला चट्टान की तरह हो गया। यही कारण है कि वह स्कूल और कॉलेज में पैरा में नहीं बल्कि सामान्य कैटेगरी के खिलाड़ियों के साथ खेलते थे।

अन्य खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *