मुंबई के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में 122 करोड़ रुपये के गबन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घोटाले का आरोप बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर हितेश प्रवीणचंद मेहता पर लगा है, जो दादर और गोरेगांव शाखा के प्रभारी थे। आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर बैंक के खातों से करोड़ों रुपये का हेरफेर किया।
FIR दर्ज, जांच EOW को सौंपी
बैंक के चीफ अकाउंट्स ऑफिसर की शिकायत के बाद दादर पुलिस ने BNS की धारा 316(5) और 61(2) के तहत मामला दर्ज किया है। शुरुआती जांच में पुलिस को शक है कि इस घोटाले में हितेश मेहता के अलावा और भी लोग शामिल हो सकते हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) को सौंप दी गई है।
बैंक पर RBI ने लगाया बैन
घोटाले के खुलासे के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। अब बैंक न तो नए लोन जारी कर सकेगा, न ही मौजूदा लोन का नवीनीकरण कर सकेगा। नई जमा राशि स्वीकार करने और संपत्तियों की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है।
RBI ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि यह कदम बैंक में वित्तीय अनियमितताओं और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है। ये प्रतिबंध 13 फरवरी 2025 से लागू होंगे और अगले छह महीने तक प्रभावी रहेंगे। अब सवाल यह है कि इस घोटाले के पीछे कौन-कौन हैं, और आखिर 122 करोड़ रुपये गए कहां? EOW की जांच से कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।