दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता Manish Sisodia को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने दिल्ली शराब नीति मामले में उन्हें जमानत दे दी है। मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने 10 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दी है, लेकिन इसके साथ ही दो बड़ी शर्तें भी लगाई गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को निर्देश दिया है कि वे अपना पासपोर्ट अदालत में जमा करें। यह शर्त इस बात को सुनिश्चित करने के लिए लगाई गई है कि वे देश छोड़कर भाग न सकें। दूसरी शर्त ये है कि सिसोदिया को हर सोमवार को अपने क्षेत्र के थाने में जाकर हाजिरी लगानी होगी। यह शर्त उनके नियमित रूप से कानून के दायरे में रहने के लिए लगाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मनीष सिसोदिया समाज के सम्मानित व्यक्ति हैं और उनके भागने की कोई आशंका नहीं है। साथ ही, इस मामले में ज्यादातर सबूत जुटाए जा चुके हैं, इसलिए उनके साथ छेड़छाड़ की संभावना भी नहीं है। हालांकि, यदि सिसोदिया गवाहों को प्रभावित करने या डराने की कोशिश करते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
CBI और ED मामलों में मिली जमानत
मनीष सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी को CBI ने गिरफ्तार किया था, और इसके बाद 9 मार्च को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फिर से गिरफ्तार किया। अब सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मामलों में सिसोदिया को जमानत दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच का फैसला
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने मनीष सिसोदिया की जमानत पर यह फैसला सुनाया है। इससे पहले 11 जुलाई को जमानत याचिका की सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजय कुमार ने बेंच से खुद को अलग कर लिया था, जिससे सुनवाई टल गई थी।
सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2023 अक्टूबर से उनके खिलाफ केस में कोई प्रगति नहीं हुई है।