Diwali Celebration 2023

Diwali Celebration 2023 : 352 साल बाद ग्रहों का बन रहा दुर्लभ योग, यह रहेगा शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा विधि, पूजन सामग्री, मंत्र और भोग

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Deepotsav 2023 : आज दीपों का उत्सव दीपावली पर्व है। अमावस्या तिथि में प्रदोष काल आज प्राप्त होने से दिवाली मनाई जा रही है। आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि, स्वाति नक्षत्र, आयुष्यमान योग, शकुनी करण और पश्चिम का दिशाशूल है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर 2:46 बजे से होगा। दिवाली की पूजा सूर्यास्त के बाद होगी, क्योंकि उस समय से ही प्रदोष काल का प्रारंभ होता है।

इस वर्ष की दिवाली सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र में है। इस सुंदर संयोग में दिवाली पर लक्ष्मी पूजा होगी, जो आपके लिए शुभ और उन्नतिदायक होगी। आज पूजा का मुहूर्त शाम के समय रहेगा। कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल में दिवाली की पूजा करना शुभ माना गया है। इसके अलावा निशिता काल में भी लक्ष्मी पूजा की जा सकती है। दिवाली पर लक्ष्मी मंत्रों का जाप करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

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बता दें कि कार्तिक मास की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है, ताकि देवी कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे। पूजा-पाठ के साथ ही हमें दैनिक जीवन में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, तब ही हमें सुख-समृद्धि और सफलता मिल सकती है।

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352 साल बाद ग्रहों का बन रहा दुर्लभ योग

इस बार दिवाली पर ज्योतिष के नजरिए से ग्रहों का दुर्लभ योग बन रहा है। दिवाली पर गुरु मेष राशि में, शनि कुंभ राशि में, राहु मीन और केतु कन्या राशि में है। 2023 से पहले यह योग 352 साल पहले 31 अक्तूबर 1671 में बना था। उस दिन भी दीपावली मनाई गई थी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार राहु-केतु दोनों क्रूर ग्रह हैं। शनि अपनी राशि कुंभ में और राहु मीन राशि में है। यह ग्रह शनि से द्वितीय भाव में है। यह दोनों ग्रह एक-दूसरे के आगे-पीछे हैं, शनि पर मंगल की दृष्टि है। ग्रहों की ऐसी स्थिति और रविवार के योग में दिवाली होने से यह पर्व तंत्र पूजन के लिए बहुत खास रहेगा। इन योगों में लक्ष्मी जी के साथ ही भैरव महाराज और हनुमान जी की भी विशेष पूजा जरूर करें। पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से करें।

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दिवाली की पूजा सामग्री

माता लक्ष्मी, गणेश जी की नई मूर्ति, अक्षत्, सिंदूर, कुमकुम, रोली, चंदन, लाल फूल, कमल और गुलाब के फूल, माला, केसर, फल, पान का पत्ता, सुपारी, कमलगट्टा, धान का लावा, बताशा, मिठाई, पीली कौड़ियां, शहद, इत्र, गंगाजल, दूध, दही, तेल, शुद्ध घी, खीर, मोदक, लड्डू, पंच मेवा, कलावा, पंच पल्लव, सप्तधान्य, एक कलश, पीतल का दीपक, मिट्टी का दीपक, रुई की बत्ती, लौंग, इलायची, दूर्वा, लकड़ी की चौकी, आम के पत्ते, साफ आटा, आसन के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, एक नारियल, लक्ष्मी और गणेश के सोने या चांदी के सिक्के और धनिया शामिल है।

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मां महालक्ष्मी का मंत्र

ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥

भगवान गणेश जी का मंत्र

गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।

उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

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गणेश-लक्ष्मी का प्रिय भोग

दिवाली पर माता लक्ष्मी को खील-बताशे, मखाने की खीर या दूध, चावल और चीनी से बनी खीर या फिर दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। गणेश जी को मोदक या बूंदी के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।

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जानिए शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा विधि, पूजन सामग्री, मंत्र और भोग

दिवाली पर आयुष्यमान और सौभाग्य योग के अलावा स्वाति नक्षत्र है। दिवाली पूजा का मुहूर्त शाम 5:39 से 7:35 बजे तक रहेगा। इसके अलावा दिवाली लक्ष्मी का निशिता काल मुहूर्त रात 11:39 से देर रात 12:32 बजे तक रहेगा। स्वाति नक्षत्र रविवार को प्रात:काल से सोमवार सुबह 2:51 बजे तक रहेगा। सौभाग्य योग रविवार शाम 4:25 से सोमवार दोपहर 3:23 बजे तक रहेगा।

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शुभ समय में माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति स्थापना करके विधिपूर्वक पूजन करें। माता लक्ष्मी को खीर, खील, बताशे और गणेश जी को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। गणेश और लक्ष्मी जी के लिए घी के दीपक जलाएं। आरती करके पूरे घर को दीयों की रोशनी से सजाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

महालक्ष्मी के स्वागत के लिए मुख्य द्वार सहित इन जगहों पर जलाएं दीपक

दीपावली की रात लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के अंदर और बाहर दीपक सहित मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाए। इस बात का भी ध्यान रखें कि दीपक लगाने से पहले उनकी भी पूजा करनी चाहिए। दीपक की रोशनी से घर में सकारात्मकता और पवित्रता का वास होता है। माना जाता है कि दीपक से देवी-देवता भी हमारे घर की ओर आकर्षित होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। दीपों के बिना दीपावली अधूरी रहती है। दीपक जलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, तभी लक्ष्मी पूजा का पूरा फल मिल सकता है।

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बता दें कि पूजा करते समय घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर, तेल का दीपक अपने दाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए। पूजा करते समय दीपक बुझना नहीं चाहिए। अगर दीपक बुझ जाए तो भगवान से क्षमा मांगते हुए फिर से जला देना चाहिए। दीपक भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाएं। खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती का उपयोग करें, जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती शुभ मानी गई है। दीपक जलाते समय शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते मंत्र का जप करें।

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इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ, घर के आंगन, तुलसी के पौधे के पास और घर की छत पर दीपक जलाएं। घर में पीने के पानी की जगह, घर की रसोई, तिजोरी के पास भी दीपक लगाएं। इसके अलावा घर के आसपास पीपल के पेड़ और चौराहे पर भी दीपक जलाना शुभ माना गया है। ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी के सामने चार मुखी दीपक जलाना चाहिए।