ज्ञानवापी मामले में बुधवार को वाराणसी की अदालत से एक बड़ा फैसला आया है। इस फैसले के तहत ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यास के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की इजाजत मिल गई है। कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर व्यवस्था करने को कहा है ताकि हिंदू वहां पूडा कर सकें। बताया जाता है कि तहखाने की पूजा करने पर 1993 से रोक लगी हुई थी। इसी रोक को अब कोर्ट ने हटा दिया है।
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव का कहना है कि जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। उन्होंने बताया कि प्रशासन सात दिन के अंदर पूजा-पाठ कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा। मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने से रास्ता खोला जाएगा। उन्होंने बताया कि तहखाने में पूजा करने संबंधी आवेदन पर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली थी। मंगलवार को भी इस पर सुनवाई हुई और नियमित पूजा पाठ की मांग का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता ने आपत्ति जताते हुए दलील दी कि अदालत ने केवल रिसीवर नियुक्त करने का जिक्र किया है। उसमें पूजा के अधिकार का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए विवाद को निस्तारित मानते हुए खारिज किया जाए।
अब आगे क्या?
वादी अधिवक्ताओं ने कहा है कि व्यासजी के तहखाने को डीएम की सुपुर्दगी में दिया गया है। अधिवक्ताओं के अनुरोध पर कोर्ट ने नंदी के सामने की बैरिकेडिंग को खोलने की अनुमति दी है। ऐसे में अब तहखाने में 1993 के पहले के जैसे पूजा के लिए अदालत के आदेश से आने- जाने दिया जाएगा।
व्यास के तहखाने में क्या?
ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यासजी तहखाना में पूजा की मांग को लेकर वर्षों से अदालती लड़ाई चल रही है। ताजा फैसले में बताया गया कि वादी हिंदू पक्ष ने बताया कि मंदिर भवन के दक्षिण दिशा में स्थित तहखाने में मूर्ति की पूजा होती थी। दिसम्बर 1993 के बाद पुजारी व्यासजी को इस प्रांगण के बेरिकेट वाले क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इस कारण तहखाने में होने वाले राग-भोग आदि संस्कार भी रुक गये। हिंदू पक्ष ने दलील दी कि इस बात के पर्याप्त आधार है कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यासजी ब्रिटिश शासन काल में भी वहां कब्जे में थे।
व्यासजी ने दिसम्बर 1993 तक वहां भवन में पूजा अर्चना की है। बाद में तहखाने का दरवाजा हटा दिया गया। हिन्दू धर्म की पूजा से सम्बन्धित सामग्री बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री उस तहखाने में मौजूद हैं। हिंदू पक्ष ने कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बगैर किसी विधिक अधिकार के तहखाने के भीतर पूजा दिसम्बर 1993 से रोक दी। हिंदू पक्ष ने अदालत से अनुरोध किया कि वह रिसीवर को नियुक्त करे जो तहखाने में पूजारी द्वारा पूजा किया जाना नियंत्रित करे और उसका प्रबंध करे। न्यायालय में 17 जनवरी 2024 को पारित एक आदेश में रिसीवर की नियुक्ति तो कर दी लेकिन तहखाने में पूजा-अर्चना के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया। हिंदू पक्ष ने अपनी दलील में कहा था कि तहखाने में मौजूद मूर्तियों की पूजा नियमित रूप से की जानी आवश्यक है।