गगनयान की टेस्ट लॉन्चिंग पहले किसी तकनीकी वजह से रोक दी गई। जिसके बाद दोबारा 10 बजे से इसे सफलतापूर्वक लॉन्च कर लिया गया। गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट का सफलता पूर्वक परीक्षण कर लिया गया है। इसके साथ ही भारत ने अंतरिक्ष जगत में एक बार फिर इतिहास रचन दिया है। इस अवसर पर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि मुझे गगनयान टीवी-डी 1 मिशन की सफल परीक्षण की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है। हमने इस लॉन्चिंग के साथ एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इस मिशन का उद्देश्य क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करना है।

बता दें कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से शनिवार सुबह 10 बजे गगनयान के क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम का लाइव परीक्षण हुआ। यह उन 20 बड़े परीक्षणों में से पहला परीक्षण था, जिनको आने वाले समय में इसरो ने पूरा करने की योजना बनाई है। एस सोमनाथ ने कहा कि हमने टेस्ट फ्लाइट को सुबह 8 बजे लॉन्च की योजना बनाई थी, लेकिन मौसम की खराबी के चलते से इसे 45 मिनट बढ़ाकर 8ः45 किया गया। इस दौरान नॉमिनल लिफ्ट ऑफ प्रोसेस न होने के चलते हमें होल्ड करना पड़ा। यह मॉनिटरिंग एनोमली की वजह से हुआ। मॉनिटरिंग में गड़बड़ी के कारण परीक्षण रोक दिया गया था। इसके बाद हमने इसका पता लगाया और तुरंत ठीक कर दिया गया। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी के कारण लिफ्ट-ऑफ को थोड़ी देर के लिए रोक दिए जाने के बाद दूसरे प्रयास में टेस्ट उड़ान लॉन्च किया गया।

क्रू मॉड्यूल को रिकवर कर रही नौसेना व गोताखोरों की टीम
इसरो चीफ ने बताया कि क्रू एस्केप सिस्टम की जांच ट्रायल फ्लाइट के आसमान में जाने के बाद उसका क्रू एस्केप सिस्टम एक्टिव हुआ। जिसकी वजह से क्रू मॉड्यूल और रॉकेट अलग हुआ। इसके बाद क्रू मॉड्यूल के पैराशूट खुले और वह बंगाल की खाड़ी में जाकर लैंड कर गया। इसे रिकवर में भारतीय नौसेना का जहाज और गोताखोरों की टीम लगी हुई है। एस सोमनाथ ने कहा कि समुद्र से क्रू मॉड्यूल की बरामदगी के बाद हम अधिक डेटा और एनालिसिस के साथ वापस आएंगे।
व्हीकल सुरक्षित
बता दें कि टेस्ट फ्लाइट की लॉन्चिंग पहले सुबह आठ बजे के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में इसे दो बार टाला गया। इसको लेकर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा लिफ्ट-ऑफ का प्रयास नहीं हो सका। इंजन इग्निशन नॉमिनल कोर्स में नहीं हुआ है, हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या गलत हुआ। व्हीकल सुरक्षित है, हमें यह देखने की जरूरत है कि क्या हुआ। हम जल्द ही वापस आएंगे, जो कंप्यूटर फंक्शन रहा है उसने लॉन्च रोक दिया है। हम इसे ठीक करेंगे और जल्द ही लॉन्च शेड्यूल करेंगे।

मनुष्यों का जीवन शामिल
चंद्रयान-3 के लिए भी गननयान मिशन की उड़ान जैसा ही दृष्टिकोण अपनाया गया था, जिसके बाद भारत को अगस्त में चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड कराने वाला पहला देश बनाकर इसरो ने इतिहास रच दिया था। हालांकि इस बार इसरो ने बड़ा दांव लगाया है, क्योंकि मिशन गगनयान में मनुष्यों का जीवन शामिल होगा।

17 किमी की ऊंचाई पर किया गया प्रक्षेपित
टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम (चालक बचाव प्रणाली) और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित किया गया, उसने श्रीहरिकोटा से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की।