सतलुज यमुना लिंक एसवाईएल के न बनने से हरियाणा को अब तक 19,500 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। 46 साल से सिंचाई का पानी नहीं मिलने से दक्षिण हरियाणा की 10 लाख एकड़ कृषि भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच गई है। सबसे अहम बात यह है कि पानी के अभाव में राज्य को हर साल 42 लाख टन खाद्यान्न का भी नुकसान हो रहा है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह आंकड़े रखे। सीएम ने बताया कि यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल बन जाती तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों व दूसरे अनाजों का उत्पादन कर सकता है। मुख्यमंत्री ने करीब 40 मिनट की मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एसवाईएल नहर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी विस्तृत चर्चा की। सीएम ने बताया कि इस पानी के न मिलने से दक्षिणी-हरियाणा में भू-जल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है। एसवाईएल के न बनने से हरियाणा के किसान महंगे डीजल का प्रयोग करके और बिजली से नलकूप चलाकर सिंचाई करते हैं। जिससे उन्हें हर वर्ष 100 करोड़ रुपए से लेकर 150 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ता है।
पंजाब के नकारात्मक रूख से कराया अवगत
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री को पंजाब की भगवंत मान सरकार के हरियाणा के प्रति नकारात्मक रुख से भी अवगत कराया। सुप्रीम कोर्ट ने अब से पहले दो बार हरियाणा के हक में फैसला दे रखा है। इस बार 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि यदि पंजाब सरकार नहीं मानती तो वह हस्तक्षेप कर सर्वे कराए और एसवाईएल नहर बनवाने की व्यवस्था करें।
सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश किया पारित
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी लिखी है। सीएम ने चिट्ठी में स्पष्ट किया है कि वे एसवाईएल नहर के निर्माण के रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा या मुद्दे को हल करने के लिए उनसे मिलने को तैयार हैं।उन्होंने कहा कि एसवाईएल को लेकर 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक विस्तृत आदेश पारित किया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि निष्पादन जल के आवंटन से संबंधित नहीं है।