होलाष्टक, होली से ठीक आठ दिन पहले एक विशेष समय है, जो अशुभ माना जाता है। इस समय में होली के पूर्व अशुभता का एक संकेत माना जाता है, क्योंकि इस अवधि में विभिन्न ग्रहों का उग्र हो जाता है।
आचार्य महेश भारद्वाज ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह अशुभ हो जाते हैं और इसलिए इस समय में कोई भी शुभ कार्य करना अभिशापित माना जाता है। बता दें कि होलाष्टक 17 मार्च 2024 से 24 मार्च तक चलेगा। इस समय को होली से पूर्व के अशुभ दिनों के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इस समय में नए कार्य की शुरुआत करना या किसी नए प्रोजेक्ट को आरंभ करना भी अधिक असाध्य माना जाता है।
होलाष्टक के दिनों में ग्रहों का स्वभाव उग्र हो जाता है, जिससे लोगों की निर्णय क्षमता कमजोर होती है और उन्हें अधिक संवेदनशील बना दिया जाता है। इस अवधि में अक्सर लोग अपने स्वाभाविक निर्णयों के विपरीत फैसले लेते हैं, जिससे उन्हें असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
होलाष्टक पर पौराणिक कथा
होलाष्टक के अशुभ प्रभाव के पीछे एक पौराणिक कथा भी है। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद की भक्ति को भंग करने के लिए होली से पहले कई तरह से उन्हें प्रताड़ित किया था। होलाष्टक के दिन उन यातनाओं के दिन माने जाते हैं, जो प्रहलाद ने जीत कर उसके बाप को पराजित किया था।
प्रत्येक दिन एक-एक ग्रह अशुभ
होलाष्टक के दिनों में प्रत्येक दिन एक-एक ग्रह अशुभ होता है। चंद्रमा को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि पर सूर्य को नवमी तिथि पर, शनि को दशमी तिथि पर, शुक्र को एकादशी तिथि पर, बृहस्पति को द्वादशी तिथि पर, बुध को त्रयोदशी तिथि पर, मंगल को चतुर्दशी तिथि पर और राहु को पूर्णिमा तिथि पर अशुभ माना जाता है। इस पूरे समय के दौरान लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है और अशुभ कार्यों से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए। ध्यान दें कि यह समय सिर्फ आठ दिनों के लिए होता है और इसका असर समय के साथ ही समाप्त होता है।
उन्नति में कम हो सकती है बाधाएं
अगर आपको इस समय में कोई महत्वपूर्ण काम करना है, तो आपको उसके लिए अच्छे संदर्भ और मुहूर्त का चयन करना चाहिए, जिससे आपको सफलता मिल सके। होलाष्टक के दिनों में अपने कर्मों को अच्छे संदर्भ में करने से आपको अधिक लाभ हो सकता है और आपकी उन्नति में बाधाएं कम हो सकती हैं।
समय के साथ ही हमें ध्यान देना चाहिए कि हर एक संदर्भ में अशुभता नहीं होती है और यह भी सत्य है कि हमारे कर्मों का महत्व हमारे संदर्भों से अधिक होता है। इसलिए हमें अपने कर्मों में सततता और ईमानदारी बनाए रखने की आवश्यकता है, चाहे वह किसी भी समय हो।