भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर ने एक अनोखी तकनीक विकसित की है, जो पूरी तरह से अदृश्य कपड़ा बनाने में सक्षम है। यह तकनीक न केवल सैनिकों को बल्कि जेट विमानों और अन्य सैन्य उपकरणों को भी दुश्मन की नजरों से बचा सकती है। इस कपड़े का उपयोग भारतीय सेना के जवानों, सैन्य गाड़ियों और एयरक्राफ्ट कवर बनाने के लिए किया जा सकता है।
कैसे काम करता है यह अदृश्य कपड़ा?
यह कपड़ा एक मेटामैटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम है, जो न केवल दुश्मन की राडार की पकड़ से बचता है, बल्कि सैटेलाइट, इंफ्रारेड कैमरा, थर्मल इमेजर और वूंड सेंसर्स से भी छिपा रहता है। इस तकनीक का मुख्य लाभ यह है कि इसके द्वारा बनाए गए किसी भी उपकरण को दुश्मन की किसी भी निगरानी प्रणाली द्वारा पकड़ा नहीं जा सकता।
स्वदेशी तकनीक और सस्ती लागत
यह कपड़ा पूरी तरह से स्वदेशी है, और इसके निर्माण की लागत विदेशों से मंगाए गए सरफेस क्लोकिंग सिस्टम से 6 से 7 गुना सस्ती है। इस मेटामैटेरियल का उद्घाटन IIT कानपुर के निदेशक प्रो. मनिंद्र अग्रवाल ने किया, और इसे हाल ही में डिफेंस स्टार्टअप एग्जीबिशन में प्रदर्शित किया गया, जहां इसे काफी सराहा गया।
विकास और परीक्षण
इस मेटामैटेरियल की खोज IIT कानपुर के तीन प्रमुख वैज्ञानिकों – प्रो. कुमार वैभव श्रीवास्तव, प्रो. एस अनंत रामकृष्णन, और प्रो. जे. रामकुमार – द्वारा की गई। इस तकनीक का पेटेंट 2018 में दायर किया गया था और अब इसे स्वीकृति मिल चुकी है। भारतीय सेना के साथ इस तकनीक का परीक्षण पिछले छह वर्षों से चल रहा है।
सेना के लिए फायदेमंद तकनीक
प्रो. कुमार वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने इस तकनीक पर 2010 में काम करना शुरू किया था। 2019 में भारतीय सेना ने ऐसी तकनीक की तलाश शुरू की थी, जो दुश्मन के राडार को धोखा दे सके। इस तकनीक के परिणामस्वरूप, भारतीय सेना को दुश्मन की राडार, सैटेलाइट, इंफ्रारेड कैमरा और ग्राउंड सेंसर से बचने में मदद मिल सकती है।
भविष्य के अवसर
मेटातत्व कंपनी के एमडी और पूर्व एयर वाइस मार्शल प्रवीण भट्ट ने कहा कि यदि इस तकनीक को मंजूरी मिलती है, तो इसे भारतीय सेना को एक साल के अंदर उपलब्ध कराया जा सकता है। यह तकनीक दुश्मन की इमेजिंग प्रोसेस को पूरी तरह से विफल कर सकती है, जिससे सेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय साबित हो सकता है।