Supreme Court ने शुक्रवार (8 नवंबर) को एक महत्वपूर्ण फैसले में केंद्र सरकार को दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 40 के तहत अनिवार्य नियम बनाने का आदेश दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक स्थान और सेवाएं दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पूरी तरह से सुलभ हो।
कोर्ट ने माना कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार नियम, 2017 का नियम 15 मूल अधिनियम के दायरे से बाहर है, क्योंकि इसमें पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य दिशा-निर्देश नहीं दिए गए थे। यह फैसला दृष्टिबाधित व्यक्ति राजीव रतूड़ी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनाया गया, जिसमें सार्वजनिक स्थानों तक दिव्यांग व्यक्तियों की सार्थक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
2017 में कोर्ट ने सार्वजनिक भवनों को सुलभ बनाने के लिए केंद्र और राज्यों को कई निर्देश दिए थे। नवंबर 2023 में, निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा करते हुए, न्यायालय ने NALSAR लॉ यूनिवर्सिटी के दिव्यांगता अध्ययन केंद्र को सार्वजनिक भवनों और स्थानों को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पूरी तरह सुलभ बनाने के कदमों पर रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया।