भारत का पहला मिशन शुक्रयान (Shukrayaan) मार्च 2028 में लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन वीनस के ऑर्बिट, सतह, वायुमंडल और आयनोस्फियर का अध्ययन करेगा। केंद्र सरकार ने 19 सितंबर 2023 को इस मिशन को मंजूरी दी है। शुक्र ग्रह पृथ्वी से लगभग 4 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है और इसे पृथ्वी का जुड़वां ग्रह भी कहा जाता है।
मिशन का उद्देश्य
वीनस मिशन का मुख्य उद्देश्य शुक्र ग्रह के ऑर्बिट, सतह और वायुमंडल का गहन अध्ययन करना है। यह मिशन ग्रह के पर्यावरण और सूर्य के प्रभावों पर भी जानकारी जुटाएगा, जिससे पृथ्वी के विकास और भविष्य के बारे में समझ बढ़ाई जा सकेगी।
वीनस की स्टडी के तीन महत्वपूर्ण कारण
- वीनस और पृथ्वी की समानता
वीनस ग्रह आकार और घनत्व में पृथ्वी जैसा है। वीनस पर कभी पानी होने की संभावना भी है, जिससे इसका अध्ययन पृथ्वी के विकास को समझने में मदद कर सकता है। - ग्रीनहाउस इफेक्ट से अधिक गर्मी
वीनस की सतह का तापमान लगभग 462 डिग्री सेल्सियस है, जो इसे बुध से भी अधिक गर्म बनाता है। यह ग्रीनहाउस प्रभाव का नतीजा है, जिसमें सूर्य की गर्मी ग्रह के वातावरण में कैद हो जाती है। - सूर्य का उल्टा उदय और अस्त
वीनस की धुरी पर गति बहुत धीमी है, जिससे इसका एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है। वीनस पर सूर्य पश्चिम में उगता और पूर्व में अस्त होता है।
मिशन की लॉन्चिंग और अवधि
यह मिशन मार्च 2028 में लॉन्च किया जाएगा, जब वीनस पृथ्वी के सबसे करीब होगा। मिशन की अवधि 4 साल की होगी, और यह लॉन्च GSLV मार्क-2 रॉकेट से किया जाएगा। वीनस तक पहुंचने में लगभग 140 दिन लगेंगे। मिशन के लिए 2500 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट का उपयोग होगा, जिसमें 100 किलोग्राम के पेलोड्स होंगे।