पानीपत, (आशु ठाकुर) : भारत में अनेकों प्राचीन मंदिर हैं, जहां आज भी लोग आध्यात्मिक दृष्टि से प्रेरित होकर आते हैं। यहां उत्तर से लेकर दक्षिण, पूर्व से लेकर पश्चिम तक कई ऐसे स्थान हैं, जो लोगों को आकर्षित करते हैं। जिनमें से एक राजस्थान के झूंझूनू जिले में स्थित ‘रानी सती मंदिर’ भी है। जो कि भारत का सबसे बड़ा मंदिर हैं, जो एक राजस्थानी महिला रानी सती को समर्पित हैं। यहां लोग न केवल आध्यात्मिक महत्व के कारण, बल्कि स्थानीय परंपरा और संस्कृति के लिए भी आते हैं।
बता दें कि रानी सती को नारायणी देवी और दादीजी कहा जाता हैं। 13वीं और 17वीं शताब्दी के बीच में रहती थी और अपने पति की मृत्यु पर सती(आत्मदाह) करती थी। राजस्थान और अन्य जगहों पर विभिन्न मंदिर उनकी पूजा और उनके कार्य को मनाने के लिए समर्पित है। मंदिर किसी भी महिला या पुरूष देवताओं की कोई पेंटिंग या मूर्ति नहीं रखने के लिए उल्लेखनीय है। इसके बजाय अनुयायियों द्वारा शक्ति और बल का चित्रण करने वाले त्रिशूल की धार्मिक रूप से पूजा की जाती हैं।

मंदिर का इतिहास
रानी सती मंदिर का इतिहास बहुत ही दिलचस्प है। यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। इसके प्राचीन ग्रंथों और कई किस्सों के अनुसार इस मंदिर की देवी रानी सती हैं, जो एक प्राचीन राजपूत रानी थीं। रानी सती का वास्तविक नाम नारायणी था। इतिहास के अनुसार एक युद्ध के दौरान उनके पति की मृत्यु हो जाती है, जिसके बाद वे भी सती हो जाती हैं। लोग उन्हें आदि शक्ति का रूप मानते हैं और रानी सती के नाम से पूजा करते हैं।

मंदिर की वास्तुकला
रानी सती मंदिर एक प्राचीन और भव्य मंदिर है, जो झूंझूनू की पहाड़ियों पर स्थित है। इसकी वास्तुकला का भी अपना महत्व है। मंदिर के कई भाग कांच से सजे हैं, जो आज भी देखे जा सकते हैं। मंदिर के परिसर में अन्य मंदिर भी हैं, जैसे कि शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, सीता मंदिर, ठाकुर जी मंदिर और भगवान गणेश मंदिर।

मंदिर में घूमने का समय
रानी सती मंदिर दर्शन के लिए सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे और फिर दोपहर 3 बजे से रात को 10 बजे तक खुला रहता है। यहाँ पर्यटक अपने परिवार, दोस्तों या साथी के साथ आ सकते हैं। टिकट के लिए कोई शुल्क नहीं है। रानी सती मंदिर के आसपास अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जैसे कि खेतड़ी पैलेस, लोहार्गल, मोदी और तिबरवाल हवेली। झूंझूनू रेलवे स्टेशन सबसे निकट स्थान है।





