दिल्ली विधानसभा चुनाव के 11 दिन बाद बीजेपी ने राजधानी के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शालीमार बाग से विजयी रहीं रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगा दी है। वह दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री होंगी। दिलचस्प बात यह है कि दो साल पहले उन्हें दिल्ली नगर निगम के मेयर पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन तब उन्हें आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, अब वह दिल्ली की सबसे ऊंची राजनीतिक कुर्सी पर बैठने जा रही हैं। यह राजनीतिक सफर किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है। आइए जानते हैं उनके जीवन और राजनीति के सफर के बारे में।

हरियाणा से दिल्ली तक का सफर
रेखा गुप्ता का जन्म 19 जुलाई 1974 को हरियाणा के जींद जिले के जुलाना उपमंडल के नंदगढ़ गांव में हुआ। जब वह महज दो साल की थीं, तब उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। उनकी शिक्षा-दीक्षा भी दिल्ली में ही हुई। छात्र जीवन से ही उनका झुकाव राजनीति की ओर था। उन्होंने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के माध्यम से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1996-97 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष बनीं और छात्र हितों से जुड़े मुद्दों को प्रभावी रूप से उठाया।

बीजेपी में बढ़ता कद
राजनीति में कदम रखने के बाद रेखा गुप्ता ने धीरे-धीरे संगठन में अपनी मजबूत पकड़ बना ली। 2003-04 में वह भाजपा युवा मोर्चा दिल्ली की अध्यक्ष बनीं और 2004 से 2006 तक पार्टी की राष्ट्रीय सचिव रहीं। 2007 और 2012 में वह उत्तरी पीतमपुरा (वार्ड 54) से नगर निगम पार्षद चुनी गईं। इसके अलावा, वह भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रह चुकी हैं।
मेयर पद की हार से मुख्यमंत्री पद तक
2023 में जब दिल्ली नगर निगम के मेयर पद के लिए बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था, तब रेखा गुप्ता को आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन उनकी मेहनत और पार्टी के प्रति निष्ठा रंग लाई और 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने शालीमार बाग सीट से टिकट दिया। इस बार उन्होंने आप की बंदना कुमारी को 29,595 वोटों के अंतर से हराकर विधानसभा में एंट्री कर ली।

महिला फैक्टर और परिवारवाद से परहेज
रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे कई अहम कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण यह कि भाजपा ने महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए रेखा गुप्ता को चुना। बीजेपी 13 राज्यों में सत्ता में है, लेकिन अब तक किसी महिला को मुख्यमंत्री नहीं बनाया था। ऐसे में दिल्ली से यह शुरुआत की गई।
दूसरा बड़ा कारण यह है कि पार्टी ने परिवारवाद से परहेज किया। माना जा रहा था कि भाजपा प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बना सकती थी, लेकिन वह पूर्व सीएम साहेब सिंह वर्मा के बेटे हैं। बीजेपी पर पहले से ही विपक्ष परिवारवाद के मुद्दे पर हमलावर रहता है, इसलिए पार्टी ने इस बार एक नॉन-डायनेस्टी नेता को तरजीह दी।

रेखा गुप्ता की बेदाग छवि बनी ताकत
रेखा गुप्ता की छवि एक शांत और नीतिगत नेता की रही है। उनके खिलाफ कोई बड़ा विवाद नहीं रहा है, जिससे पार्टी के लिए उन्हें सीएम पद पर बिठाना आसान हो गया। बीजेपी ने अनुभवी नेताओं जैसे प्रवेश वर्मा और विजेंद्र गुप्ता को दरकिनार कर रेखा गुप्ता पर दांव लगाया, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी बदलाव और महिला नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहती है।