Lata Mangeshkar Death Anniversary

Lata Mangeshkar Death Anniversary : 50 हजार गाने गाए लेकिन खुद कभी न देखा न सुना कोई गाना, Swara Kokila की पुण्यतिथि पर जानिए कुछ दिलचस्प किस्से

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स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज में वो जादू था कि संगीत की दुनिया में उन्हें सुरों की देवी कहा जाता था। लता मंगेशकर ने अपने जीवन में 36 भाषाओं में 50000 गाने गाए लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने पर्दे पर खुद का गाया हुआ गाना न कभी देखा और न ही कभी सुना। उनका मानना था कि अगर वे खुद का गाना सुनेंगी तो उसमें जरुर कोई न कोई कमी निकाल देंगी। संगीत की दुनिया में उन्हें प्यार और सम्मान से लोग लता दीदी कहकर पुकारते है। आज लता मंगेशकर की दूसरी पुण्यतिथि है। इस मौके पर आपको बताते है उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से।

स्वर कोकिला लता मंगेशकर भले ही आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अपने गानों के जरिए वह आज भी फैंस के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। वहीं आज उनकी दूसरी पुण्यतिथि है। 6 फरवरी 2022 को लता दीदी ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। कोविड की वजह से 92 की उम्र में उनका निधन हुआ था।

आखिर क्यों नहीं की लता दीदी ने शादी?

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बता दें कि लता मंगेशकर ताउम्र कुंवारी ही रह गईं। उन्होंने कभी शादी नहीं की दरअसल जब वह 13 साल की थीं तो उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर की मौत हो गई थी। इसके बाद उन्होंने घर की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले ली थी। यही वजह थी कि उन्होंने कभी शादी के बारे में नहीं सोचा। वहीं एक बार आजतक को दिए एक इंटरव्यू के दौरान लता की बहन मीनाताई मंगेशकर ने इसका खुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि वह हम लोगों को छोड़कर दूर नहीं जाता चाहती थीं। इसलिए दीदी ने कभी शादी नहीं की। बता दें कि लता मंगेशकर पांच भाई-बहन हैं। मीना खांडिकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और हृदयनाथ मंगेशकर ये सभी लता दीदी से छोटे थे। वे अपने घर की बड़ी बेटी थीं।

5 साल की उम्र में शुरू कर दिया था गाना

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बता दें कि बचपन से ही लता दीदी को संगीत में बेहद दिलचस्पी थी। 5 साल की उम्र से ही उन्होंने सिंगिंग सीखना शूरू कर दिया था। वहीं 9 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिया था। लता दीदी ने अपने पिता से ही गाने की ट्रेनिंग ली थी। उनके पिता एक बेहतरीन क्लासिकल सिंगर और थियेटर एक्टर थे। भारत की ‘स्‍वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने ना सिर्फ भरातीय भाषाओं में बल्कि कुछ विदेशी भाषाओं में भी गाने गाए थे। उन्हें कई सारे अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।

अधूरी रह गई थी लता मंगेशकर की ये ख्वाहिश

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बता दें कि लता मंगेशकर की एक ख्वाहिश भी थी जिसे वह जीवत रहते पूरा करना चाहती थीं। लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। हांलाकि उनके निधन के बाद लता दीदी के घरवालों ने उनकी ये आखिरी इच्छा पूरी की थी। दरअसल लता बालाजी की बहुत बड़ी भक्त थीं और वह तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को 10 लाख रुपये दान देना चाहती थीं। लता दीदी ने इस इच्छा का जिक्र अपनी वसीयत में भी किया था। उन्हें उनके जीते जी तो ये संभव ना हो सका लेकन लता दीदी के परिवार वालों नें उनकी ये अंतिम इच्छा पूरी कर दी है। उनकी मौत के 611 दिन बाद लता मंगेशकर की ये आखिरी ख्वाहिश पूरी की गई थी।

बचपन का नाम था हेमा

बहुत कम लोग जानते है कि लता मंगेशकर का बचपन का नाम हेमा था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने अपने नाटक भाव बंधक की फीमेल लीड कैरेक्टर लतिका के नाम से प्रभावित होकर अपनी बेटी का नाम लता रख दिया था। इतना ही नही लता जी के नाम के आगे लगे सरनेम मंगेशकर शब्द का भी दिलचस्प किस्सा है। दरअसल लता दीदी के पिता का असली नाम दीनानाथ अभिषेक था लेकिन वो चाहते थे कि उनके बच्चों के नाम के आगे अभिषेक की जगह कुछ और सरनेम लगाया जाए। दीनानाथ जी के पुरखों का नाम मंगेशी था और कुलदेवता का नाम मंगेश ऐसे में उन्होंने अपना सरनेम बदलकर मंगेशकर कर दिया। इसके बाद उनके बच्चों के नाम के आगे भी सरनेम मंगेशकर लगाया गया।

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क्यों पहनती थी सफेद साड़ी

लता मंगेशकर की आवाज के साथ-साथ उनका पहनावा भी उनकी पहचान बन गया था। लता मंगेशकर को ज्यादातर समय में सफेद साड़ी में देखा गया। एक बार एक इंटरव्यू में उनसे ये सवाल किया गया कि वो ज्यादातर सफेद साड़ी ही क्यों पहनती है। इसी पर लता जी ने कहा कि उन्हें बचपन से ही सफेद काफी पसंद है। उन्होंने एक किस्सा बताते हुए कहा कि एक बार तेज बारिश हो रही थी उन्हें रिकॉडिंग के लिए जाना था। उन्होंने पीले या ऑरेंज र्ग की शिफॉन क्रेप साड़ी पहन ली और वो स्टूडियो पहुंच गई। स्टूडियो पहुंचने के बाद एक आर्टिस्ट ने उनसे पूछा कि आप क्या पहनकर आ गई है। इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि उनके व्यक्त्वि पर सफेद साड़ी ही जंचती है और लोग भी उन्हें उसी में देखना पसंद करते है।

आवाज सुनकर जवाहर लाल नेहरु भी रो पड़े थे

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जब 1962 में चीन के हमले के बाद पूरे देश में हताशा का भाव फैला हुआ था। 26 जनवरी 1963 में लता जी से कहा गया कि वो अपनी आवाज में ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गाए। जब उन्होंने ये गीत गाया तो उनकी आवाज में इतना दर्द था कि गाना सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरु भी रो पड़े थे। जब गाना खत्म हुआ तो महबूब खान लता दीदी के पास गए और कहा- लता पंडित जी तुम्हें बुला रहे है। तब नेहरु जी ने उनसे कहा कि बेटी आज तो तुमने मुझे रुला दिया।

मिले थे कई रिकॉर्ड

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लता मंगेशकर ने अपने करियर में 50 हजार से ज्यादा गाने गाएं। ऐसा कोई सम्मान नहीं है जो उन्हें न मिला हो। उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने 3 नेशनल अवॉर्ड और 4 फिल्मफेर अवॉर्ड भी जीते।