भारत ने आज चंद्रमा पर लैंडिंग कर नया इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के साउथ पोल पर अपनी सफलतापूर्वक लैंडिग कर ली है। चंद्रमा के इस हिस्से में लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश बन गया है, जबकि चांद के किसी भी हिस्से में यान उतारने वाला चौथा देश बन गया है।
इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन पर ही यह उपलब्धि हासिल थी। सफल लैंडिंग के बाद अब सभी को विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का इंतजार है। धूल का गुबार शांत होने के बाद प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा। विक्रम और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे। अब चंद्रयान-3 का लैंडर-रोवर चांद पर 1 दिन काम करेगा, यानि यह पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होगा।
मिशन चंद्रयान-3 की लैंडिंग का दौर शुरू हो गया था। शाम 5:44 बजे लैंडर अपने निर्धारित समय पहुंच गया था। अब उसे धीरे-धीरे 5 मिनट बाद 6 बजकर 4 मिनट पर साउथ पोल पर उतर गया है। मिशन कामयाब रहा। अब भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने के बाद दुनिया का पहला देश बन गया है। इसरो के अनुसार 41 दिनों के बाद चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग की तैयारी की गई थी। मिशन के सभी सिस्टम नॉर्मल हैं, जिनकी लगातार जांच की जा रही है। लैंडिंग के एक घंटे 50 मिनट बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकलेगा। इतने समय में लैंडिंग की वजह से उड़ने वाली धूल शांत हो जाएगी। इसरो ने श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 की लॉचिंग की थी।
इसरो के इस महत्वाकांक्षी मिशन से पूरे देश की उम्मीदें जुड़ी हैं। जिसके लिए देशभर में प्रार्थनाएं, पूजा-पाठ और दुआओं का दौर सुबह से ही जारी है। सारा देश चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर उत्साहित नजर आ रहा है। आज मिशन चंद्रयान-3 ने संपूर्ण देश को एक कर दिया है। वहीं PM Modi की South Africa से भी मिशन चंद्रयान-3 पर नजरें हैं।
लैंडर की सेहत ठीक, इसरो का बैकअप प्लान भी था तैयार
इसरो के अनुसार हमने सिस्टम का कई स्तर पर सत्यापन कर लैंडिंग की तैयारी कर ली थी। लैंडर की सेहत बिल्कुल ठीक है। इस मिशन में अब तक सब कुछ हमारी योजना के अनुसार ही हुआ है। इसरो की ओर से बैकअप प्लान भी तैयार किया गया था। ऐसे में अगर लैंडर के सभी सेंसर फेल भी हो जाते तो भी यह लैंडिंग जरूर करता। इसके साथ ही हमारी ओर से यह भी सुनिश्चित किया गया था कि इस बार लैंडर के दो इंजन फेल होने पर भी यह सफल लैंडिंग करने में सक्षम रहता।
चंद्रयान-3 का शाम 5:20 से लाइव प्रसारण शुरू किया गया। इस ऐतिहासिक पल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्चुअली रूप से जुड़े रहे। उन्होंने सभी देशवासियों को लैंडिंग की सफलता पर बधाई दी है। वहीं मिशन की सफलता के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी जगह-जगह पर हवन कराए जा रहे थे। अब लैंडर ने चांद पर अपने कदम रखकर न सिर्फ भारत के लिए एक उपलब्धि हासिल की है, बल्कि चंद्रयान-3 पूरी दुनिया में एक इतिहास रचने वाला बन गया है। जिसे हरियाणा के रोहतक जिले का भी योजना है। चंद्रयान-3 में लगाए गए करीब डेढ़ लाख पुर्जे रोहतक की एक फैक्टरी में ही तैयार किए गए हैं। अब भारत का चंद्रयान-3 ने लैंडिंग के साथ साउथ पोल पर अपने पांव जमा लिए हैं।
इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 के आखिरी 19 मिनट काफी अहम होंगे। लैंडिंग शुरू होते समय इसकी गाति 6048 रहेगी, जबकि चांद की सतह के करीब आते ही इसकी गति 10 किमी प्रतिघंटा से भी कम हो जाएगी, जो लैंडर को खराब सतह पर उतरने में मदद करेगी। इसरो चीफ ने चंद्रयान-3 पर काम कर रही पूरी टीम की सराहना करते हुए कहा है कि यह एक सफल मिशन होगा और यह आत्मविश्वास उस काम से आ रहा है, जो हमारी टीम ने चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग के बाद मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए किया है।
आपका यह जानना जरूरी, किस प्रकार चार फेज में होगी लैडिंग
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर चार फेज में लैंडिंग होगी। ऐसे में पहला रफ ब्रेकिंग फेज रहेगा। जिसके तहत लैंडर लैडिंग साइट से 750 किलोमीटर दूर होगा और इसकी स्पीट 1.6 किलोमीटर प्रति सेकेंड रहेगी। यह फेज 690 सेकेंड तक चलेगा और विक्रम के सभी सेंसर्स कैलिब्रेट होंगे। इसके बाद 690 सेकेंड में हॉरिजॉन्टल स्पीड 350 मीटर प्रति सेकेंड और नीचे की तरफ 61 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी।
दूसरे एल्टिट्यूट होल्ड फेज में विक्रम चांदी की सतह की फोटो खींचेगा और पहले से मौजूद फोटो के साथ मिलान करेगा। इस दौरान हॉरिजॉन्टल वेलॉसिटी 336 मीटर प्रति सेकेंड और वर्टिकल वेलॉसिटी 59 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। इसके बाद तीसरे फाइन ब्रेकिंग फेज का समय 175 सेकेंड रहेगा और स्पीड 0 पर आ जाएगी। इस दौरान लैंडर की पॉजिशन पूरी तरह से वर्टिकल हो जाएगी। साथ ही सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी। विक्रम के सेंसर चालू किए जाएंगे और हाइट नापी जाएगी। इसके बाद फिर से फोटो लिए जाएंगे और मिलान किया जाएगा।
चौथे टर्मिनल डिसेंट फेज की 131 सेकेंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आ जाएगा और हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा सतह की फोटो खींचेगा। विक्रम पर लगा हैजर्ड डिटेक्शन कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा। अगर सब सही होगा तो विक्रम 73 सेकेंड में चाद की सतह पर होगा। अगर नो-गो की कंडीशन होगी तो 150 मीटर आगे जाकर रूकेगा। फिर से सतह की जांच होगी। अगर सब सही पाया गया तो लैंड कर जाएगा।
सफल लैंडिंग के बाद डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा। इसके बाद रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आ जाएगा। जिसके पहिये चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप छोड़ेंगे। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान एक दूसरे की फोटो खीचेंगे। जिन्हें पृथ्वी पर भेज दिया जाएगा।
दो इंजन के काम नहीं करने पर भी होगी चंद्रयान-3 की लैंडिंग
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ के अनुसार उन्होंने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था कि अगर सब कुछ फेल हो जाता है। सभी सेंसर फेल हो जाते हैं और कुछ भी काम नहीं करता है। ऐसे में फिर भी विक्रम की लैंडिंग होगी। इसके लिए एल्गोरिदम ठीक से काम करना चाहिए। इसके लिए यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे तो भी विक्रम लैंडिंग करने में जरूर सफल होगा। इसी के साथ उन्होंने यह भी बताया कि चंद्रयान-3 के आखिरी 19 मिनट सांस फूलाने वाले होंगे। लैंडिंग शुरू होते समय गति 6048 किमी प्रति घंटा रहेगी। वहीं चांद को छूते समय यह 10 किमी प्रति घंटे से भी कम होगी। उतरने के लिए स्थान का चुनाव इसरो कमांड सेंटर से नहीं होगा, बल्कि लैंडर अपने कंप्यूटर से जगह का चयन स्वयं करेगा।