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Loksabha में कल पेश होगा ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल,  भाजपा ने सांसदों को जारी किया व्हिप

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New Delhi केंद्र सरकार कल, 17 दिसंबर को लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) विधेयक पेश करेगी। इस बहुप्रतीक्षित बिल को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल इसे लोकसभा में प्रस्तुत करेंगे। भाजपा ने इस अवसर पर अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी करते हुए सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने को कहा है।

संविधान संशोधन विधेयक को मिली है मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 12 दिसंबर को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूरी दी गई थी। सरकार ने दो मसौदा कानून तैयार किए हैं। पहला लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन। दूसरा तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है।

भाजपा की तैयारियां

इस बिल को पारित करने के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी, जिसे दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास करना होगा। वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े दूसरे विधेयक को सामान्य बहुमत से पारित किया जा सकेगा। भाजपा ने सोमवार को अपने सांसदों को व्हिप जारी करते हुए कहा कि 17 दिसंबर को सदन में “महत्वपूर्ण विधायी कार्यों” पर चर्चा होनी है। यह संकेत देता है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल को लेकर सरकार गंभीरता से आगे बढ़ रही है।

विधेयक का उद्देश्य और महत्व

‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक का उद्देश्य संसाधनों की बचत, बार-बार चुनावों से बचाव, और देशभर में चुनाव प्रक्रिया को सुगम बनाना है। इस अवधारणा के तहत लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, और संभवतः चरणबद्ध तरीके से नगर निकाय व पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। हालांकि, मंत्रिमंडल ने फिलहाल स्थानीय निकाय चुनावों को इस प्रक्रिया से अलग रखा है।

संयुक्त समिति के पास भेजे जाने की संभावना

सूत्रों के मुताबिक, सरकार विधेयक पेश करने के बाद इसे आम सहमति बनाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक विभिन्न राजनीतिक दलों के विचारों और सुझावों को शामिल करने के बाद ही आगे बढ़ेगा।

सरकार के पास सीमित समय

संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में सरकार के पास इस विधेयक को पेश करने और चर्चा के लिए सीमित समय बचा है। अगर विधेयक कल पेश नहीं होता, तो शेष तीन दिनों में इसे पारित कराना मुश्किल हो सकता है।

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