संसद के शीतकालीन सत्र के 9वें दिन वीरवार को विपक्षी सांसदों ने संसद सुरक्षा चूक मामले में सरकार को जमकर घेरा। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में विपक्षी नेताओं ने नारेबाजी की। ऐसे में कई बार सदन को स्थगित करना पड़ा। इस दौरान हंगामा कर रहे लोकसभा के 14 और राज्यसभा के एक सांसद को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। इन 15 सांसदों में कांग्रेस के 9, डीएमके और सीपीएम के 2-2, सीपीआई और टीएमसी के एक सांसद शामिल हैं। इससे पहले संसद सुरक्षा चूक मामले पर विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक स्थगित कर दी गई थी।
गौरतलब है कि संसद की सुरक्षा में चूक मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। वीरवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर जैसे ही स्पीकर ओम बिड़ला लोकसभा में पहुंचे तो विपक्षी सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। ओम बिड़ला ने सभी को शांति बनाए रखने को कहा। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष होने के नाते सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी है। विपक्ष के हंगामे के बीच 15 सांसदों को निलंबित करने के बाद लोकसभा को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने से पहले राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संसद की सुरक्षा में चूक की उच्च स्तरीय जांच चल रही है और एफआईआर दर्ज कर जांच की जा रही है। स्पीकर ने खराब आचरण को देखते हुए कांग्रेस के सांसद मनिकम टैगोर, एमडी जावेद, वीके श्रीकंदन, टीएन प्रतापन, हिबी ईडन, जोथिमानी, राम्या हरिदास, डीन कुरियाकोस और बेनी बेहनन, राज्यसभा से TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेंड कर दिया।

सांसदों के निलंबन के बाद समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर ऐसे ही सभी सांसदों को सस्पेंड करना है तो पूरे विपक्ष को एक साथ सस्पेंड कर दें, ताकि वह अपने दूसरे काम कर सकें। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि संसद सुरक्षा चूक मामले में उनकी मांग है कि गृह मंत्री अमित शाह सदन में आए और अगर हमें 2-4 सवाल पूछने का मौका मिले तो उनका जवाब दें। हमें अपनी मांग रखने का अधिकार देना चाहिए। यह भाजपा का कार्यालय नहीं है। लोकतंत्र की बड़ी क्रूरता से बलि दी जा रही है। मोदी है तो देश में मुश्किल है।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि संसद के माननीय सदस्यों की सुरक्षा और संरक्षा को लेकर कल एक गंभीर घटना थी। लोकसभा अध्यक्ष ने सभी के साथ बैठक की। सदन के नेताओं से मुलाकात की और संसद में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उनके समाधान सुने। कुछ सुझावों को पहले ही लागू किया जा चुका है। इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हर किसी को इस घटना की निंदा करनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पुरानी संसद में भी इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं। आरोपित मनोरंजन और सागर शर्मा ने संसद भवन के अंदर और बाहर बारी-बारी से रेकी की थी। डीएमके की कनिमोझी सहित लोकसभा से 14 और राज्यसभा से एक सांसद अमर्यादित व्यवहार के लिए निलंबित किए गए।

विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर कहा कि संसद की सुरक्षा का उल्लंघन हाल के दिनों में बेहद गंभीर मामला है। मामले की गंभीरता को देखते हुए वह संसद में भारतीय दलों के नेताओं के परामर्श से इस विचार पर आया है कि मामले को नियम 267 के तहत उठाया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक गृह मंत्री इस मामले पर बयान नहीं देते और नियम 267 के तहत चर्चा नहीं होती, तब तक सदन में कोई अन्य कार्य नहीं होना चाहिए।

डेरेक ओ ब्रायन के निलंबित होने पर टीएमसी सांसद डोला सेन ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि लोगों से जुड़े मुद्दे उठाना हमारा अधिकार है। डेरेक ओ ब्रायन ने कुछ भी गलत नहीं किया है। संसद में सुरक्षा चूक के मुद्दे पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री चुप हैं, इसलिए विपक्ष इस मुद्दे को उठा रहा है और नारेबाजी कर रहा है।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से लिखा कि विपक्षी पार्टियों की मांग है कि संसद में सुरक्षा चूक के मामले पर गृहमंत्री दोनों सदनों में विस्तृत बयान दें। इस पर संसद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा पर भी कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने घुसपैठियों को विजिटर पास मुहैया कराए।

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि इसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है। पिछली बार जब हमला हुआ था तो आतंकी संसद के भीतर नहीं पहुंच पाए थे, लेकिन इस बार वह लोकसभा तक पहुंच गए। उन्होंने कहा कि अगर हम चुप रहेंगे तो इसका मतलब यह है कि हम अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे हैं।