प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद भाषण देते हुए कहा कि 75वां गणतंत्र दिवस, संसद का नया भवन, सेंगोल की अगुवाई का दृश्य बहुत प्रभावी था। प्रधानमंत्री ने विपक्ष की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की अगवानी का दृश्य सुखद था। उन्होंने विपक्ष के संकल्प की सराहना भी की और उन्हें आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू के भाषण से उनका और देश का विश्वास पक्का हो गया है कि वह लंबे समय तक रहने का संकल्प नहीं लेने वाले हैं। उन्होंने जनता को भगवान का रूप मानते हुए कहा कि जो परिश्रम कर रहा है, उसे ईश्वर रूपी जनता का आशीर्वाद मिलेगा। प्रधानमंत्री ने 28 मई 2023 को उद्घाटन के बाद से नई संसद में पहला संबोधन किया और उसे प्रभावी बताया। उन्होंने विपक्षी नेताओं के बयानों पर भी टिप्पणी की, जिनमें कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण की मांग की, ओवैसी ने मुस्लिमों के प्रति आलोचना की और टीआर बालू ने संशोधित नागरिकता कानून पर टिप्पणी की।

महिलाओं को आरक्षण लंबे समय तक मिलेगा : खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि आरक्षण विधेयक तो पारित हो गया है, लेकिन महिलाओं को आरक्षण लंबे समय तक मिलेगा, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। ओवैसी ने राष्ट्रपति के संबोधन में मुसलमानों के लिए कोई बात नहीं कही जाने की आलोचना की और टीआर बालू ने संशोधित नागरिकता कानून पर अपने विचार रखे।
अबकी बार 400 पार, सदन में मची हंसी
इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के एक बयान से सदन में हंसी मच गई। जिसमें उन्होंने कहा कि अबकी बार 400 पार हो रहा है, हंस पड़े मोदी। इस पर पीएम मोदी भी हंसे और कहते हैं कि खड़गे ने सच कहा है और सच के अलावा कुछ नहीं कहा है। जिसके बाद सांसद डीके सुरेश ने अंतरिम बजट पर रिएक्शन दिया और कहा कि दक्षिण भारत के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि दक्षिणी राज्यों से लिया जाने वाला टैक्स उत्तर भारत को दिया जा रहा है और दक्षिण भारत पर हर मामले में हिंदी थोपी जा रही है।

केंद्र को कर्नाटक को देना चाहिए हिस्से का पैसा
साथ ही सुरेश ने चेतावनी दी, कि यदि यह अन्याय बर्दाश्त नहीं हुआ तो दक्षिणी राज्य अलग देश बनाने की मांग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र को कर्नाटक को उसके हिस्से का पैसा देना चाहिए, ताकि यह अन्याय दूर हो सके। सभी सांसदों के बीच तीखी बहस हुई और सदन में हंसी का माहौल छा गया। इसके बावजूद यह घटना दिखाती है कि संसद में हंसी और बहस का मिश्रण हमारे लोकतंत्र की जीवंतता को बढ़ाता है।