अधर देवी मंदिर एक गुफा में माउंट आबू क्षेत्र में लोकप्रिय धार्मिक थीम वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। यह माउंट आबू के मुख्य शहर से तीन किलोमीटर उत्तर में स्थित है। अधर देवी मंदिर तक पहाड़ में खुदी हुई 365 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जाता है। मंदिर स्वयं एक चट्टानी दरार के अंदर स्थित है और गुफा में एक छोटे से छेद से रेंगकर पहुंचा जा सकता है।
अधर देवी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। इसे यह नाम इसलिए मिला, क्योंकि किंवदंती है कि माताजी का आधार यहां गिरा था, यह भी माना जाता था कि देवी की छवि यहां हवा में लटकी हुई पाई जा सकती है। एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ, अधर देवी मंदिर कई धार्मिक तीर्थयात्राओं के लिए भी एक आम गंतव्य है। अधर देवी मंदिर में पवित्र नवरात्रें के 9 दिनों के दौरान सबसे अधिक तीर्थयात्री आते हैं।
पहाडों-जंगलों के कई सुरम्य दृश्यों से पुरस्कृत
अधर देवी मंदिर में कई खूबसूरत मूर्तियां हैं और जो लोग सीढ़ियों पर चढ़ने का प्रयास करते हैं, उन्हें आस-पास के पहाड़ों और जंगलों के कई सुरम्य दृश्यों से पुरस्कृत किया जाता है। अधर देवी मंदिर तक चढ़ाई कठिन हो सकती है, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि आप उचित कपड़े और जूते पहनें। आपको इस पैदल यात्रा से विमुख नहीं होना चाहिए, क्योंकि मंदिर के आस-पास के सुंदर दृश्य और अंदर की अद्भुत सुंदरता इस चढ़ाई को प्रयास के लायक बनाती है।
इस शक्तिपीठ पर गिरे थे मां पार्वती के होंठ
भारत में माता के 51 शक्तिपीठ है और सभी शक्तिपीठों का अपना अलग महत्व हैं। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है अधर देवी मंदिर। माना जाता है कि यहां माना देवी पार्वती के होंठ गिरे थे, इसलिए यहां शक्तिपीठ स्थापित हुआ। यहां मां अधर देवी की पूजा माता कात्यायनी देवी के रूप में की जाती है, क्योंकि अधर देवी मां कात्यायनी का ही स्वरूप कहलाती हैं। यूं तो यहां सालभर भक्तों की भीड़ रहती हैं, लेकिन नवरात्रों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता हैं। कहा जाता है कि यहां मां की चरण पादुका के दर्शन मात्र से ही भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।