आपने हमेशा सुना होगा कि जिंदगी में हर कोई आपका साथ छोड़ देता है लेकिन आपकी परछाई कभी भी आपका साथ नहीं छोडती। आज ऐसा होगा कि डेढ़ मिनट तक आपको अपनी परछाई नहीं दिखेगी। जीरो शैडो डे यानि शून्य परछाई वाला एक ऐसा दिन होता है जब सूर्य की किरणें सीधी पड़ने के कारण व्यक्ति या कीसी भी वस्तु की छाया कुछ पल के लिए गायब हो जाती है। उस समय सूर्य अक्षांश रेखा के ठीक ऊपर होता है।
क्या हरियाणा में भी रहेगा जीरो शैडो डे
आज देश की विभिन्न जगहों पर जीरो शैडो डे रहेगा। हरियाणा में इसके आसार देखने को नहींं मिलेंगे। देश की अन्य जगहों पर जिसमें मंगलौर, बंटवाल, सकलेशपुर, हासन बिदादी, बेंगलुरु, दशरहल्ली बंगारपेट, कोलार वेल्लोर, अरकोट अराक्कोनम, श्रीपेरंबटूर तिरुवल्लुर अवाडी, चेन्नई आदि स्थानों मे जीरो शैडो डे रहेगा।
जीरो शैडो डे पर क्या बोले खगोल विज्ञानी
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि यह घटना कर्क और मकर रेखा के बीच आने वाली अक्षांश रेखा के बीच ही होती है। कर्क रेखा यानी 23.5 अक्षांश पर 21-22 जून को हर साल दोपहर में परछाई शून्य हो जाती है।
उसी तरह 21-22 दिसंबर को दक्षिणी गोलार्ध में यह स्थिति बनती है। इसके बाद शून्य अक्षांश यानी विषुवत रेखा से 23.5 अक्षांश के बीच तिथि व स्थान के साथ जीरो शैडो की स्थिति बदलती रहती है और इस घटना की पुनरावृत्ति उस क्षेत्र ने हर साल होती है।
पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुकाव के कारण उत्पन्न होती है यह स्थिति
पृथ्वी के अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी होने के कारण जीरो शैडो डे की स्थिति तो बनती ही है। ऋतु परिवर्तन भी इसी कारण होता है। भौगोलिक लिहाज से पृथ्वी को तीन महत्वपुर्ण रेखाओं में अंकित किया गया है, जो विषुवत, मकर व कर्क रेखा हैं। 27 शनि अपोजिसन व 31 अगस्त को माह का दूसरा सूपरमून 27 अगस्त को शनि दर्शन का सुनहरा मौका होगा।
सुनहरे तारे की तरह चमकेगा शनि ग्रह
जीरो शैडो डे वाले दिन इस खगोलीय घटना में शनि पृथ्वी के सर्वाधिक करीब पहुंचेगा और सुनहरे तारे की तरह चमकता नजर आएगा। इस खगोलीय घटना को अपोजिसन कहा जाता है। जिसमें पश्चिम में सूर्य अस्त हो रहा होगा तभी पूर्व दिशा से शनि उदय हो रहा होगा।
डॉ. पांडेय ने बताया कि इस माह की आखिरी खगोलीय घटना सूपरमून की होगी। जिसे ब्लू मून भी कहा जाता है। अगस्त में पहला सूपरमून एक अगस्त हुआ था और अब दूसरा 31 अगस्त की रात देखने को मिलेगा।
क्या है इस दुर्लभ खगोलीय घटना का कारण?
अब सवाल है कि जीरो शैडो डे क्या है और इसका कारण क्या है? मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 25 अप्रैल की दोपहर 12 से 12.30 बजे तक बेंगलुरू के लोगों ने जीरो शैडो को देखा था। इस साल बेंगलुरु में लोगों ने एक अनोखी खगोलीय घटना का अनुभव किया, जब उन्होंने अपनी परछाइयों को गायब होते देखा।
हम सब चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाएं देखते हैं। लेकिन इनके अलावा पृथ्वी पर ऐसी अन्य तमाम घटनाएं हैं, जो कभी-कभी महसूस की जाती हैं। इनमें से एक घटना है जीरो शैडो।
इस दिन खास टाइम पर सूरज ठीक रहता है हमारे सिर के ऊपर
अब बड़ा सवाल यह है कि जीरो शैडो डे क्या है और इसे मनाया क्यों जाता? साथ ही इस घटना का कारण क्या है? बता दें कि इस साल 25 अप्रैल की दोपहर 12 से 12.30 बजे तक बेंगलुरू के लोगों ने जीरो शैडो को देखा गया था। इस दौरान छात्रों ने सूर्य की रोशनी से बन रही छाया की तस्वीरें खींची।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस दिन के एक खास टाइम पर सूरज ठीक हमारे सिर के ऊपर रहता है और यही कारण है कि उस खास वक्त पर हमारी परछाई नजर नहीं आती। इसी घटना को जीरो शैडो कहा जाता है।
इस दिन कैसे आता है मौसम में बदलाव
ऐसा माना जाता है दोपहर 12 बजे हर दिन सूरज हमारे सिर के ठीक उपर होता है, लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। बता दें कि पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के तल के 23.5 डिग्री तक झुके होने से सालभर सूर्य की स्थिति बदलती है। यही वजह है कि मौसमों में बदलाव भी नजर आते हैं।
अप्रैल में हुए थे दिन-रात बराबर
सूर्य के साउथ से नॉर्थ की ओर जाने की क्रिया 22 दिसंबर से शुरू हो जाती है और आम तौर पर 21 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर रहता है। अब यही वह दिन है, जब दोपहर को कोई छाया नहीं बनती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह वह दिन होता है जब पृथ्वी पर दिन-रात बराबर होते हैं। इस साल यह स्थिति 25 अप्रैल को बनी और जीरो शैडो को महसूस किया गया।
इस दिन होती है ज्यादा गर्मी
जीरो शैडो का असर मौसम पर नहीं पड़ता है। आम तौर पर यह दिन ज्यादा गर्मी वाला होता है। जानकारी के मुताबिक कर्क रेखा पर यह स्थिति 21 जून पर बनती है। वहीं भारत में जून में ज्यादातर हिस्सों में मानसून का असर रहता है। ऐसे में मध्य भारत में कई इलाकों में जीरो शैडो नहीं दिखाई देता।
लेकिन अभी मौसम साफ है तो संभावना है कि आज देश के ज्यादा इलाकों में इस घटना को देखा जा सकता है। वहीं एक बता यह भी है कि अलग-अलग शहरों में जीरो शैडो अलग दिन को देखा जा सकता है।