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Haryana Politics : CM Naib Saini सरकार पर संकट के बादल, नई सरकार बनवाने वाले 4 निर्दलीय विधायकों ने मारी पलटी

राजनीति पंचकुला

Haryana Politics : लोकसभा चुनावों में 400 सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हरियाणा में जोर का झटका धीरे से लगने वाला है। प्रदेश में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार पर संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि जननायक जनता पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद सरकार बनाने में समर्थन देने वाले 4 निर्दलीय विधायक अब कांग्रेस के समर्थन में आ गए हैं। इस सियासी उठा-पटक के बाद आज मंगलवार शाम 4 बजे रोहतक में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान पत्रकारों से बातचीत के दौरान इसका खुलासा करेंगे।

गौरतलब है कि हरियाणा में हाल समय में भाजपा सत्तासीन पार्टी है, लेकिन इसी माह होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आई खबर ने प्रदेश की नई भाजपा सरकार और केंद्रीय हाईकमान की धड़कनें बढ़ा दी हैं। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनावों की गहमा-गहमी के बीच हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की नई भाजपा सरकार को समर्थन देने वाले 4 विधायकों ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है।

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बता दें कि दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद इन्हीं निर्दलीय विधायकों के सहारे प्रदेश में भाजपा की नई सरकार का गठन हुआ था, लेकिन मंत्रिमंडल में किसी भी निर्दलीय विधायक को शामिल नहीं किया गया था। अब बताया जा रहा है कि पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, चरखी दादरी से सोमवीर सांगवान और बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद ने कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया है।

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बता दें कि रोहतक में होने वाली कांग्रेस की पत्रकारवार्ता में 3 निर्दलीय विधायक पहुंच चुके हैं। तीनों विधायकों ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान, पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी, रोहतक से विधायक भारत भूषण बात्रा की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया है। पत्रकारवार्ता से पूर्व पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान से मुलाकात की। हालांकि इस दौरान विधायक राकेश दौलताबाद बैठक में नहीं पहुंचे हैं।

विधायक 1

बता दें कि कैबिनेट विस्तार के दौरान नायब सैनी के मंत्रिमंडल में रणजीत चौटाला के अलावा इनमें से किसी निर्दलीय विधायक को जगह नहीं मिली थी। इसके बाद से चारों विधायक नाराज चल रहे थे। चारों विधायकों में से तीन ने मंगलवार को रोहतक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया है। वहीं निर्दलीय विधायकों के इस फैसले को लेकर हरियाणा की सियासत में गरमाहट आ गई है। तमाम तरह की अफवाहों का शोर शुरू हो गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि इससे हरियाणा में भाजपा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

हरियाणा में कांग्रेस वर्ष 2019 के बाद भाजपा सरकार के खिलाफ अब तक 2 अविश्वास प्रस्ताव ला चुकी है। हालांकि दोनों बार कांग्रेस यह प्रस्ताव विधानसभा में पास नहीं हो पाया। पहली बार कांग्रेस सदन में वर्ष 2021 में किसान आंदोलन को लेकर अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। इसी साल मार्च में बजट सत्र के दौरान कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। अब दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 6 महीने का गैप जरूरी है। ऐसे में सितंबर तक कांग्रेस मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती।

अविश्वास प्रस्ताव के लिए सबसे पहले विपक्षी दल या विपक्षी गठबंधन को लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर को इसकी लिखित सूचना देनी होती है। इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहते हैं। जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है, तब वह अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अंदर इस पर चर्चा जरूरी है।

इसके बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है या फिर कोई फैसला ले सकता है। बता दें कि हरियाणा में कुल 90 विधायक हैं। बहुमत के लिए 46 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। मौजूदा स्थिति में भाजपा के 41 विधायक थे। करनाल सीट मनोहर लाल खट्‌टर के इस्तीफे के बाद खाली है। जिस पर नवनियुक्त मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी उप चुनाव लड़ रहे हैं। उपचुनाव को लेकर 25 मई को वोटिंग होनी है। वहीं 4 निर्दलीय विधायकों के जाने से भाजपा के पास 40 विधायक रह गए हैं।

सीएम सैनी 1

बता दें कि भाजपा सरकार को 6 निर्दलीय और हलोपा विधायक गोपाल कांडा का समर्थन है। 6 निर्दलीय में से रणजीत चौटाला भी इस्तीफा दे चुके हैं। वह भाजपा में शामिल होकर हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इस लिहाज से भाजपा के पास 45 विधायक बचते हैं। अगर अब 4 निर्दलीय विधायक भाजपा का साथ छोड़ दें तो फिर उसके पास सिर्फ 41 विधायक ही शेष बचेंगे। इनके सामने कांग्रेस के 30, जजपा के 10 और इनेलो का एक विधायक हैं। अगर यह भी इकट्‌ठे हो जाएं तो सरकार के बराबर के वोट हो जाएंगे। इससे बहुमत साबित करने की स्थिति में सरकार पर 1 वोट का खतरा मंडरा सकता है।

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