पूर्व गृहमंत्री और हरियाणा में भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल विज उर्फ गब्बर को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। दरअसल, नायब सैनी के अचानक मुख्यमंत्री की ताजपोशी के समय से ही नाराज चल रहे हैं गब्बर को अचानक दिल्ली बुलाया गया। जहां उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व ग्रह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई।
सभी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ था इसमें साढे नौ साल के कार्यकाल के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पद से हटा दिया गया व नायब सिंह सैनी के रूप में नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी हुई। ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा के समय बैठक से नाराज होकर अनिल विज उर्फ गब्बर चले गए थे।
तब से अभी तक उनकी नाराजगी बनी हुई है हालांकि उन्होंने भाजपा के लिए चुनाव प्रचार किया लेकिन अपने को अंबाला विधानसभा सीट तक ही सीमित रख लिया। लेकिन अंबाला शहर की चाय की दुकानों व अन्य स्थानों पर उनके लोगों के साथ गाना गाने व मस्ती के वीडियो लगातार वायरल होते रहे।
पंजाबी मतदाताओं का पड़ा प्रभाव
ऐसे में पंजाबी वोटरों में पकड़ रखने वाले गब्बर की नाराजगी के बीच भाजपा अंबाला सीट के साथ ही सोनीपत, सिरसा, हिसार व रोहतक सीटें भी हार गई इन सभी सीटों पर पंजाबी मतदाताओं की खासी संख्या है। सूत्रों के अनुसार हाईकमान ने 10 में से 5 सीटों का हरियाणा में झटका खाने के बाद फौरी तौर पर हार की समीक्षा की तो बातचीत के लिए गब्बर को दिल्ली बुलवा लिया गया।
दिल्ली पहुंचकर उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न आने पर विधानसभा चुनाव से पहले अनिल विज को मनाने की कोशिश की जा रही है। अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अनिल विज उर्फ गब्बर को आने वाले समय में संगठन या सरकार में महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है।
अब भाजपा को पड़ी गब्बर की जरूरत
गौरतलब है कि नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके पास प्रदेश अध्यक्ष का भी दायित्व चल रहा है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली है। सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से गृहमंत्री का पद भी मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा हुआ है।
दूसरी ओर अल्पमत में होने का खतरा भी प्रदेश की भाजपा सरकार पर मंडरा रहा है, यानी कि अब चुनावी माहौल में अनिल विज की जरूरत भाजपा को कई मोर्चों पर है। जिसके चलते कयास लगाए जा रहे हैं कि हरियाणा की राजनीति में कोई बडा सियासी उलट-फेर निकट भविष्य में हो सकता है।