➤ मनोहर लाल खट्टर को RSS और भाजपा नेतृत्व दोनों की पूर्ण सहमति मिल चुकी है, जल्द हो सकती है औपचारिक घोषणा
➤ जुलाई मध्य तक मानसून सत्र से पहले खट्टर की ताजपोशी संभव, नड्डा के कार्यकाल के बाद संगठन को मिल सकता है नया चेहरा
➤ आरएसएस प्रचारक से लेकर दो बार हरियाणा के सीएम और अब केंद्रीय मंत्री तक का खट्टर का सफर बना उनकी विश्वसनीयता का आधार
हरियाणा के करनाल से दो बार के मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भारतीय जनता पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की पूरी संभावना है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और भाजपा नेतृत्व — विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह — ने खट्टर के नाम पर अंतिम सहमति दे दी है। माना जा रहा है कि यह नियुक्ति जुलाई के मध्य तक, जेपी नड्डा के कार्यकाल की समाप्ति से पहले की जाएगी, ताकि मानसून सत्र से पहले संगठन में नेतृत्व परिवर्तन सुनिश्चित कर भाजपा आगामी चुनावों के लिए एक नई रणनीतिक धार दे सके।
मनोहर लाल खट्टर का राजनीतिक सफर 1977 में बतौर आरएसएस प्रचारक शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने 17 वर्षों तक पूरी निष्ठा से सेवा दी। वर्ष 1994 में वे भाजपा में शामिल हुए और संगठन में विभिन्न स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। 2014 में वे पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और 2019 में पुनः सत्ता में आए। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर वे केंद्रीय मंत्री बने। खट्टर को भाजपा का एक अनुभवी, भरोसेमंद और कम विवादित चेहरा माना जाता है, जिन पर संघ और मोदी नेतृत्व दोनों को गहरा विश्वास है।
उनके अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे कई रणनीतिक कारण हैं — वे न केवल हरियाणा में भाजपा की पहली सरकार लाने वाले नेता हैं, बल्कि उन्होंने संगठन को अनुशासित और मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाई है। खट्टर का OBC पृष्ठभूमि और हिंदी बेल्ट से सीधा जुड़ाव, भाजपा के जातीय-सामाजिक संतुलन की रणनीति में भी फिट बैठता है।
सूत्रों के अनुसार, संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत शीर्ष पदाधिकारियों से उनके नाम को सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। भाजपा नेतृत्व अब जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा कर सकता है। इस बदलाव के साथ खट्टर को 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव, 2027–28 में उत्तर प्रदेश व गुजरात चुनाव सहित कई राज्यों में संगठन के पुनर्गठन और रणनीतिक दिशा तैयार करने की जिम्मेदारी मिल सकती है।
संभावित चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती संगठन की एकता बनाए रखना, विपक्ष के प्रखर हमलों का जवाब देना और चुनावी रूप से कमजोर पड़ते क्षेत्रों में पार्टी का जनाधार मजबूत करना रहेगा। वहीं, उनकी अध्यक्षता में पार्टी को एक अनुभवी प्रशासनिक नेतृत्व के साथ-साथ गंभीर सांगठनिक सोच मिलने की उम्मीद है।
भाजपा की आंतरिक चुनाव समिति की बैठक इस सप्ताह संभावित है, जिसमें तारीख को अंतिम रूप दिया जा सकता है। अगर सब कुछ तयशुदा योजना के अनुसार हुआ, तो जुलाई मध्य तक खट्टर की ताजपोशी की आधिकारिक घोषणा संभव है। यह भाजपा के लिए सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति और सांगठनिक पुनर्संरचना का भी संकेत होगा — और इसका केंद्रबिंदु होंगे मनोहर लाल खट्टर, जो अब एक प्रचारक से देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष पद तक का सफर पूरा करने जा रहे हैं।