Lok Sabha Elections 2024

Lok Sabha Elections 2024 : चंडीगढ़ कांग्रेस में झलक रहा बगावती माहौल, Nitin Rai का त्याग पत्र और Hafiz को नोटिस, पार्टी प्रत्याशी Manish Tiwari को बाहरी करार

राजनीति

Lok Sabha Elections 2024 : चंडीगढ़ लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने मनीष तिवारी को अपने योद्धा के रूप में चुनावी रण में उतारा है। उन्हें प्रत्याशी घोषित करने के बाद पार्टी में बगावती माहौल शुरू हो गया है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव नितिन राय चौहान ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। जिसकी जानकारी नितिन राय ने स्वयं सोशल मीडिया के माध्यम से दी है। चौहान ने त्याग पत्र का कारण बाहरी उम्मीदवार के रूप में बताया है। उनका कहना है कि वह पवन बंसल के समर्थन में हैं, इसीलिए  इस्तीफा दे रहे हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस ने शनिवार को बड़ा उलटफेर करते हुए चंडीगढ़ संसदीय सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी को मैदान में उतारा है। वर्ष 1991 से अब तक इस सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल चुनाव लड़ते आ रहे हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने उनका पत्ता साफ करते हुए टिकट पर कैंची चला दी है। पवन बंसल का टिकट कटने और मनीष तिवारी पर भरोसा जताने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। उधर पार्टी में बगावती माहौल के चलते उपाध्यक्ष हाफिज अनवर उल हक को पार्टी की तरफ से एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

पवन बंसल

बताया जा रहा है कि उन्होंने भी पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी है। करीब 15 दिन पहले पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के लिए चंडीगढ़ कांग्रेस कार्यालय में आए थे। उस समय दो गुट के कार्यकर्ताओं ने आपस में उनके सामने ही नारेबाजी की थी। इस दौरान हाफिज की चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष एचएस लक्की से बहसबाजी हो गई थी। जिसको लेकर पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी किया है।

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वहीं सूत्रों की मानें तो कांग्रेस में अभी और भी कई नेता इस्तीफा देकर अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं। माना जा रहा है कि पवन बंसल गुट के नेता उन्हें टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज दिख रहे हैं। वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लगातार चंडीगढ़ से प्रत्याशी बदलने की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष हाफिज अनवर उल हक के करीबी माने जाने वाले शशांक भट्ट ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। वह पिछले नगर निगम चुनाव के समय भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे।

इस्तीफा

पवन बंसल की टिकट कटने के यह मुख्य कारण

बताया जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल की टिकट कटने के कई कारण सामने आ रहे हैं। कयास हैं कि पवन बंसल लगातार दो लोकसभा चुनाव (वर्ष 2014 और 2019) में हार का सामना कर चुके हैं। दोनों बार भाजपा प्रत्याशी एवं अभिनेत्री किरण खेर ने उन्हें चुनावी रण में पटखनी दी है। ऐसे में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व उन्हें तीसरी बार चुनावी रण में उतारकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। उधर मनीष तिवारी को चंडीगढ़ में प्रत्याशी बनाने के कई उद्देश्य नजर आ रहे हैं। कांग्रेस भी भाजपा की तरह प्रत्याशी बदलकर स्थानीय चेहरे पर ही कार्ड खेलना चाहती है, इसलिए मनीष तिवारी को टिकट देकर चुनावी रण में उतारा गया है। बता दें कि इससे पहले भाजपा ने भी इस बार सांसद किरण खेर का टिकट काटकर उनकी जगह स्थानीय वरिष्ठ नेता संजय टंडन पर भरोसा जताया है।

मनीष तिवारी

तिवारी संसद से लेकर चंडीगढ़ तक उठा चुके जनता की आवाज

इसके अलावा चंडीगढ़ के सेक्टर-4 निवासी मनीष तिवारी के पिता वीएन तिवारी पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुके हैं और मां अमृत तिवारी पीजीआई चंडीगढ़ में ओरल हेल्थ सेंटर में प्रोफेसर एवं प्रमुख रही थीं। यहां तक कि ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले मनीष तिवारी के पिता की वर्ष 1984 में सेक्टर-24 में आतंकियों ने हत्या कर दी थी। तिवारी ने पंजाब विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की है। वह लंबे समय से चंडीगढ़ के मुद्दों पर संसद से लेकर चंडीगढ़ प्रशासन के समक्ष जनता की आवाज उठाते नजर आए हैं।

वहीं यह भी कयास हैं कि पवन बंसल को लेकर पार्टी में असंतोष दिख रहा है। बसंल वर्ष 1991 से लेकर पिछले चुनाव तक लगातार चंडीगढ़ सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। किसी और को मौका नहीं मिलने से पार्टी के अंदर काफी असंतोष था। हालांकि कई मौकों पर बंसल के खिलाफ कुछ कार्यकर्ताओं का गुस्सा खुलकर सामने भी आया था। पार्टी के अंदर बदलाव की मांग हो रही थी, जिसे हाईकमान ने भी भांप लिया था। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ से टिकट के दावेदारों में शामिल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एचएस लक्की ने भी बाद में केंद्रीय नेताओं को पत्र लिखकर मनीष तिवारी को टिकट देने की सिफारिश की थी। लक्की भी नहीं चाहते थे कि बंसल को टिकट मिले।

मनीष पवन

मनीष काफी समय से कर रहे थे सियासी जमीन तैयार

माना जा रहा है कि मनीष तिवारी चंडीगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। वह कई साल से अपने लिए यहां सियासी जमीन तैयार कर रहे थे। वर्ष 2022 की शुरुआत में जब चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण की खबर आई तो तिवारी ने इसे लेकर संसद में सवाल उठाया। पूछा कि जब विभाग फायदे में है तो उसे बेचा क्यों जा रहा है। फरवरी 2022 में जब शहर में अब तक का सबसे बड़ा ब्लैकआउट हुआ था तो तिवारी ने सांसद किरण खेर पर सवाल उठाते हुए गृहमंत्री से दखल की मांग की थी। कॉलोनी नंबर-4 को तोड़े जाने का भी उन्होंने विरोध जताया था। यही नहीं तिवारी ने श्री आनंदपुर साहिब से सांसद होते हुए भी अपने एमपीलैड फंड से लाखों रुपये बापूधाम, धनास, मनीमाजरा में ओपन एयर जिम और कैमरे लगाने पर खर्च किए। वहीं उनके टिकट मिलने के पीछे आम आदमी पार्टी का भी सहयोग माना जा रहा है।