Haryana Politics : (राकेश भट्ट, चीफ एडिटर, सिटी तहलका) फरीदाबाद लोकसभा सीट पर जाने माने गुर्जर प्रतिद्वंदी एक बार फिर आमने-सामने हैं। यहां पर इस बार बाजी दिलचस्प और पलटी हुई दिखने लगी है। कांग्रेस के अंतिम समय में यहां से गुर्जर कार्ड खेल देने से पूर्व मंत्री एवं 5 बार के विधायक महेंद्र प्रताप मैदान में उतरे तो कुछ ही समय में धीरे धीरे कांग्रेस मुकाबले में आ गई।
फिलहाल समय में केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर के सामने अच्छी खासी चुनौती खड़ी हो गई है। दोनों ही नेताओं के अपने प्लस व माइनस प्वाइंट हैं, जिसकी वजह से मुकाबला रोचक तो है, लेकिन इसमें कहने में कोई दो राय नहीं कि कृष्णपाल गुर्जर की मुश्किलें यहां से बढ़ सकती हैं। उन्हें और भाजपा को यहां पर कुछ खास रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा। नहीं तो इस बार कृष्णपाल गुर्जर की हैट्रिक अटक सकती है। उनके खिलाफ कांग्रेस ने करप्शन का आरोप लगाते हुए उसे अपना बड़ा हथियार बनाया है।
एनआईटी विधायक नीरज शर्मा ने कृष्णपाल की जगह उन्हें करप्शन पाल करना शुरू किया तो महेंद्र प्रताप व कांग्रेस के नेताओं के भाषणों में यह शब्द उनकी भी जुबान पर चढ़ गया। यहां बेशक दो गुर्जर नेता मैदान में हैं, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि सबसे ज्यादा इस सीट पर संख्या जाट व एससी वोटर ही है, उसके बाद गुर्जर वोटर आता है। निर्णायक ओबीसी, ब्राह्मण और मुस्लिम भी अच्छी संख्या में होने पर हो सकता है। बता दें कि गुर्जर वोटर यहां पर दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच बंटेगा, लेकिन सबसे ज्यादा संख्या में जाट वोटर का बड़ा हिस्सा इस बार कांग्रेस के साथ जा सकता है। जाटों की भाजपा के प्रति नाराजगी और जाट कांग्रेसी नेता करण दलाल का समर्थन करना, इसका सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
इसके अलावा अलावा मुस्लिम वोटर कांग्रेस के पक्ष में होगा तो ओबीसी व अन्य निर्णायक वोटर भी दोनों के बीच बंटता दिख रहा है। सिटी तहलका ने भी जो सर्वे अभी तक फरीदाबाद लोकसभा में किए हैं, उसके आधार पर दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। कृष्णपाल गुर्जर को करप्शन पाल बोलकर पब्लिक के बीच काफी हद तक कांग्रेस लोगों को समाझने में सफल होती दिख रही है। अगर गुर्जर के दिए गए शपथ पत्र की ही बात करें तो वर्ष 2019 के मुकाबले उनकी संपत्ति कुल संपत्ति 62.58 करोड़ हो गई है, जो कि वर्ष 2019 के मुकाबले 25 करोड़ अधिक है।
उधर कांग्रेस एक बिल्डर ग्रुप पर निशाना साध कर उसका कृष्णपाल गुर्जर से लिंक बताकर भी हमला बोल रही है। उनके साथ कुछ निगेटिव प्वाइंट भी इस चुनाव में सामने आ रहे हैं। पहला 10 साल की एंटी इंकमबेंसी का डर उन्हें हैं। अकूत संपत्ति के मालिक होने और भ्रष्टाचार पर वह अपने भाषणाों में खुद को काउंटर नहीं कर रहे हैं। किसानों का विरोध भी इस सीट के कुछ इलाकों में देखने को मिल रहा है। हाल समय में पृथला क्षेत्र में किसानों ने गुर्जर का विरोध किया था। जहां तक कांग्रेस के महेंद्र प्रताप के निगेटिव प्वाइंट की बात है तो सबसे बड़ा पहलू तो यह है कि वह पहला लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसके अलावा अर्बन वोटर जो कि मोदी से प्रभावित है, उसे अपने पक्ष में मोड़ना महेंद्र के लिए मुश्किल होगा। भीतरघात की बात की जाए तो भाजपा से पूर्व विधाायक टेकचंद शर्मा और पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी कृष्णपाल की खुलेआम खिलाफत कर चुके हैं।
बता दें कि फरीदाबाद लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधसानसभा सीटों में से ओल्ड फरीदाबाद, तिगांव और बल्लभगढ़ में भाजपा तो हथीन, पलवल, प्रथला, होडल, एनआईटी में कांग्रेस का दबदबा दिखाई दे रहा है। इसके अलावा बड़खल में दोनों पार्टियों का मुकाबला बराबरी पर माना जा रहा है। वैसे वर्ष 2019 के चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा आगे रही थी। उधर जननायक जनता पार्टी ने फरीदाबाद से नलिन हुड्डा और इंडियन नेशनल लोकदल ने सुनील तेवतिया को अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही आकर फंस गया है।
फरीदाबाद लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण
कुल मतदाता 24.17 लाख
1. जाट 4.25 लाख
2. एससी 3.72 लाख
3. गुर्जर 3.60 लाख
4. ओबीसी 3.15 लाख
5. ब्राह्मण 2.42 लाख
6. मुस्लिम 2.38 लाख
8. पंजाबी 2.10 लाख
7. वैश्य 1.5 लाख
8. राजपूत 1.5 लाख
क्यों मजबूत हैं कृष्णपाल गुर्जर
कृष्णपाल गुर्जर का इस सीट पर मजबूत प्रत्याशी के रूप में नाम आता है। माना जाता है कि वह जमीन से जुड़े नेता है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री होना, लेाकसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक उनके खेमें का होने और पिछले लोकसभा चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर 6 लाख से अधिक मत यानि 68.76 प्रतिशत मत लेकर देश में तीसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज कराना, गुर्जर की उपलब्धि मानी जा रही है। लोगों में खास पकड़, अर्बन इलाकों में भाजपा का बड़ा वोट बैंक और मोदी फैक्टर उनके प्लस प्वाइंट हैं।
महेंद्र प्रताप क्यों हैं मजबूत
कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी महेंद्र प्रताप की बात करें तो महेंद्र प्रताप का पांच बार का विधायक होने, सादगी पर जनता का समर्थन और जनता को अपनी बात समझाने में माहवार होना उनके प्लस प्वाइंट साबित करते हैं। कयास है कि महेंद्र प्रताप को 5 बार के विधायक होने का इन लोकसभा चुनाव में फल मिल सकता है।
फरीदाबाद लोकसभा से कब कौन बना सांसद
वर्ष 1989 : भजनलाल
वर्ष 1991 : अवतार सिंह भड़ाना
वर्ष 1996 : रामचंद्र बैंदा
वर्ष 1998 : रामचंद्र बैंदा
वर्ष 1999 : रामचद्र बैंदा
वर्ष 2004 : अवतार सिंह भड़ाना
वर्ष 2009 : अवतार सिंह भड़ाना
वर्ष 2014 : कृष्णपाल गुर्जर
वर्ष 2019 : कृष्णपाल गुर्जर
मतदाताओं पर नजर
कुल मतदाता : 2354666
पुरुष मतदाता : 1279435
महिला मतदाता : 1075231