➤खरड़ से आप विधायक अनमोल गगन मान ने विधायक पद से दिया इस्तीफा, स्पीकर से जल्द मंजूरी की अपील।
➤पहले मंत्री पद से हटाई गई थीं; इस्तीफे के साथ राजनीति से संन्यास की भी घोषणा।
➤अब पंजाब में दो विधानसभा सीटों – खरड़ और तरनतारन – पर उपचुनाव संभावित।
पंजाब की राजनीति में शुक्रवार को एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जब खरड़ विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (AAP) की विधायक अनमोल गगन मान ने अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले उन्हें कैबिनेट में फेरबदल के दौरान पर्यटन मंत्री पद से हटा दिया गया था। अब उन्होंने सोशल मीडिया पर राजनीति को अलविदा कहने की घोषणा करते हुए स्पीकर को इस्तीफा सौंपने की जानकारी दी है।
“दिल भारी है, पर राजनीति छोड़ रही हूं”: अनमोल गगन मान
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा:
“दिल भारी है, पर मैंने सियासत को छोड़ने का फैसला लिया है। मेरा एमएलए के पद से स्पीकर साहिब को दिया गया इस्तीफा स्वीकार किया जाए। मेरी शुभकामनाएं पार्टी के साथ हैं। मुझे उम्मीद है कि पंजाब सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरे।”
अनमोल गगन मान का यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब शिरोमणि अकाली दल (SAD) के खरड़ से उम्मीदवार रंजीत सिंह गिल ने भी हाल ही में अपनी पार्टी छोड़ दी थी। उनके भाजपा या आप में शामिल होने की अटकलें तेज हैं। ऐसे में सियासी हलचल और भी बढ़ गई है।
क्या होगी इस्तीफे की राजनीतिक कीमत?
यदि अनमोल गगन मान का इस्तीफा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तो पंजाब सरकार को खरड़ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव करवाना होगा। इससे पहले तरनतारन सीट पर भी उपचुनाव की स्थिति बन चुकी है। यानी आम आदमी पार्टी को दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चुनावी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
विवादों में रही हैं अनमोल गगन मान
गायक से नेता बनीं अनमोल गगन मान को आम आदमी पार्टी ने पर्यटन मंत्री बनाया था, लेकिन उन्हें पिछले साल मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान हटा दिया गया था। उनके कई बयानों और सार्वजनिक व्यवहारों को लेकर विवाद भी होते रहे हैं, जिससे पार्टी और सरकार को कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था।
विधायक पद छोड़ने का यह कदम सियासी गलियारों में कई सवाल खड़ा कर रहा है—क्या वह किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की तैयारी में हैं? या वास्तव में राजनीति से संन्यास ले चुकी हैं? इसका स्पष्ट जवाब तो समय के साथ सामने आएगा, लेकिन फिलहाल यह तय है कि आम आदमी पार्टी को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ेगा।