संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शंभू और Khanauri बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में शामिल न होने का फैसला किया है। यह निर्णय चंडीगढ़ में हुई पौने चार घंटे लंबी बैठक के बाद लिया गया। किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन में एकता लाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। अब तक सिर्फ एक फोरम से चिट्ठी मिली है। किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह में इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति या कृषि मंत्री से मुलाकात की जाएगी। आने वाले समय में इस विषय पर और बैठकें की जाएंगी।
सीएम भगवंत मान का बयान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा “केंद्र सरकार को अपनी जिद छोड़कर किसानों से बातचीत करनी चाहिए।” पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे किसानों के मुद्दों पर अपनी जिद छोड़कर बातचीत शुरू करनी चाहिए।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि “केंद्र सरकार पता नहीं कौन सी तपस्या कर रही है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुकवा सकते हैं, तो वे अपने 200 किलोमीटर दूर बैठे किसानों से बात क्यों नहीं कर सकते?
- किसान नेता डल्लेवाल का संदेश:
- चार दिन बाद किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को स्टेज पर लाया गया।
- उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए सहयोग के लिए दिल से धन्यवाद दिया।
- डल्लेवाल ने स्पष्ट किया कि उनकी सेहत ठीक है और लड़ाई को हर हाल में जीतना है।
- उन्होंने कहा, “यह लड़ाई तभी जीती जाएगी, जब पूरा देश एकजुट होकर लड़ेगा।”
- 2021 के आंदोलन का संदर्भ:
- उन्होंने 2021 के किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय राज्यों ने आंदोलन को अधूरा छोड़ने की बात कही थी।
- उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि इस बार छोटे भाई (राज्यों) की जिम्मेदारी है कि वे लड़ाई को मजबूती से लड़ें।
- सरकार के खिलाफ संकल्प:
- डल्लेवाल ने कहा कि यह सरकार हमें किसी भी कीमत पर नहीं हटा सकती।
- “सरकार नहीं हटा पाई तो जीतेंगे, नहीं तो मरेंगे। एक काम तो करेंगे,” उन्होंने दृढ़ता से कहा।
आंदोलन का महत्व
डल्लेवाल के संबोधन ने किसानों में नए जोश का संचार किया। उन्होंने देशभर के किसानों से एकजुटता की अपील की और सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि यह लड़ाई किसी भी सूरत में कमजोर नहीं होगी।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरण व्रत और उनकी मांगें किसानों के संघर्ष की गहराई और गंभीरता को दर्शाती हैं। 29 दिनों से उनका मरण व्रत जारी रहना उनके दृढ़ निश्चय और मुद्दे की अहमियत को दिखाता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का कानून किसानों के लिए एक बड़ी मांग है, जिससे उनकी आजीविका सुरक्षित हो सके।
ठंड और बारिश के बीच खनौरी बॉर्डर पर किसानों का डटे रहना उनकी प्रतिबद्धता और समस्या की गंभीरता को रेखांकित करता है। डल्लेवाल की नाजुक हालत इस आंदोलन को और भी संवेदनशील बना देती है, जिससे सरकार पर जल्द कदम उठाने का दबाव बढ़ता है। उम्मीद है कि सरकार और संबंधित पक्ष बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान निकालेंगे, ताकि किसानों का जीवन और कृषि क्षेत्र सुरक्षित हो सके।