Punjab के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने आज पंजाब राज भवन में आयोजित विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में तनाव प्रबंधन व नशा मुक्ति पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना केवल सशक्त युवा पीढ़ी के कंधों पर है। उन्होंने युवाओं को नशे की लत से बाहर निकालने और सकारात्मक दिशा में ऊर्जा प्रवाहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
राज्यपाल ने कहा, “युवाओं को नशे की लत से दूर कर उन्हें समाज और राष्ट्र के कल्याण की दिशा में मार्गदर्शन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देशों द्वारा नशे की तस्करी के माध्यम से भारत को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की जा रही है, और भारत को इससे सतर्क रहना चाहिए।
कटारिया ने एनडीपीएस एक्ट के सख्त पालन की आवश्यकता पर बल दिया और संतोष जताया कि पंजाब राज्य में इस एक्ट के तहत देश में सबसे अधिक 85 प्रतिशत दोषसिद्धि दर है। राज्यपाल ने अपने समापन भाषण में कहा कि नशे की समस्या का समाधान केवल कार्यक्रमों से नहीं, बल्कि समाज के सभी स्तरों पर निरंतर प्रतिबद्धता से ही किया जा सकता है। उन्होंने उप-कुलपतियों से आग्रह किया कि वे अपने विश्वविद्यालयों को नशा मुक्त बनाएं और इस दिशा में और प्रयास तेज करें।
पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने नशे के प्रवाह को रोकने के लिए उसकी आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब में नशे का उत्पादन नहीं होता, बल्कि यह एक पारगमन राज्य है। उन्होंने यह भी बताया कि युवाओं को कौशल आधारित शिक्षा और स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि वे नशे से दूर रहें।
राज्यपाल ने नशे की भयावह समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए एकजुट प्रयासों का आह्वान किया और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को सह-पाठयक्रम गतिविधियों में संलग्न करना चाहिए ताकि वे भविष्य के नेतृत्वकर्ता और समाज के आदर्श नागरिक बन सकें।