Varithini Ekadashi 2024

Varithini Ekadashi 2024 : वरुथिनी एकादशी पर तुलसी पूजन का महत्व, अपार होगी श्रीहरि-लक्ष्‍मी जी की कृपा

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Vaishakh Ekadashi 2024 : सनातन धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और देवी तुलसी की पूजा की जाती है। वैशाख मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से अपार सुख-शांति मिलती है। घर में हमेशा खुशहाली रहती है।

साथ ही वरुथिनी एकादशी का व्रत धन-समृद्धि पाने के लिए भी खास माना जाता है। यदि एकादशी के दिन तुलसी जी की विधि-विधान से पूजा की जाए तो मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर बेशुमार धन-संपत्ति देती हैं। इस साल वरुथिनी एकादशी 4 मई शनिवार को मनाई जा रही है। कहा जाता है जो भक्त इस दिन पूरे भक्ति भाव के साथ आराधना करते हैं, उन्हें सभी कष्टों व पापों से मुक्ति मिलती है।

पंचांग के अनुसार वरुथिनी एकादशी या वैशाख एकादशी 3 मई 2024 शुक्रवार की रात 11:24 बजे प्रारंभ होगी और 4 मई 2024 शनिवार को रात 8:38 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार 4 मई को वरुथिनी एकादशी मनाई जा रही है। इसी दिन एकादशी व्रत रखा जाएगा और पूजा-पाठ होगा। बता दें कि एकादशी की सुबह जल्‍दी उठकर पवित्र नदी के जल से स्नान करें। फिर प्रभु का स्‍मरण करते हुए व्रत का संकल्‍प लें।

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वरूथिनी एकादशी

इसके बाद पूजा स्‍थल की सफाई करके उसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। तुलसी जी के साथ भगवान शालिग्राम को स्थापित करें। गंगाजल, पंचामृत और जल चढ़ाएं। कुमकुम, गोपी चंदन व हल्दी का तिलक लगाएं। तुलसी के पौधे को लाल साड़ी या लाल चुनरी से सजाएं। उनका श्रृंगार करें।

वहीं शालिग्राम जी का श्रृंगार पीले वस्त्रों से करें। भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी को फूलों की माला अर्पित करें। पूजा-पाठ, मंत्र जाप करें, भोग लगाएं। आरती और भजन-कीर्तन करें। वैदिक मंत्रों के जाप के बाद देवी तुलसी और भगवान विष्णु की आरती करें। विभिन्न सात्विक भोग प्रसाद सामग्री अर्पित करें। फिर सभी को प्रसाद का वितरण करें। इसके बाद द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें।

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