श्रीकृष्ण

अगहन मास में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को जीवन में उतारें: अर्जुन का भ्रम दूर कर, श्रीकृष्ण ने दिया था सफलता का संदेश

धर्म-कर्म

अगहन मास में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को जीवन में उतारें। इस मास को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है, और इस दौरान श्रीकृष्ण की पूजा एवं उनके उपदेशों को जीवन में उतारने की परंपरा है। श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का अनुसरण करने से जीवन की तमाम समस्याएं सुलझ सकती हैं।

विशेष रूप से महाभारत युद्ध के समय दिए गए श्रीकृष्ण के गीता उपदेश हमारे लिए अमूल्य हैं, जो हमें जीवन में सफलता पाने के लिए भ्रम को दूर करने की प्रेरणा देते हैं।

महाभारत का प्रसंग और अर्जुन का भ्रम

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महाभारत युद्ध के दौरान जब कौरव और पांडवों की सेनाएं आमने-सामने थीं, अर्जुन के मन में युद्ध करने को लेकर भारी भ्रम था। श्रीकृष्ण, जो अर्जुन के सारथी थे, युद्ध के मैदान में रथ लेकर पहुंचे। अर्जुन ने कौरव पक्ष के प्रमुख योद्धाओं जैसे भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण और दुर्योधन को देखा और फिर युद्ध न करने का मन बना लिया।

अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा, “मुझे युद्ध नहीं करना चाहिए, क्योंकि मेरे सामने परिवार के लोग खड़े हैं। मैं नहीं जानता कि क्या सही है।” उनका शरीर कांप रहा था, और मन में द्वंद्व था।

श्रीकृष्ण का उपदेश

श्रीकृष्ण ने अर्जुन का ध्यान इस बात पर दिलाया कि यह युद्ध धर्म की रक्षा के लिए है, न कि व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए। उन्होंने अर्जुन से कहा, “तुम्हारे सामने परिवार है, लेकिन तुम्हारा कर्तव्य है धर्म की रक्षा करना। भ्रम से बाहर निकलो।” श्रीकृष्ण ने गीता के 700 श्लोकों के माध्यम से अर्जुन को आत्मज्ञान दिया।

भ्रम से बचो

श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जब तक मन में कोई भ्रम होगा, तब तक सफलता की संभावना खत्म हो जाती है। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले मानसिक स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।

कर्तव्य निभाओ

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह भी बताया कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए किसी भी कार्य में ईमानदारी से लग जाना चाहिए, चाहे परिणाम जो भी हो।

धर्म की रक्षा सबसे महत्वपूर्ण

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को याद दिलाया कि वे धर्म की रक्षा के लिए युद्ध कर रहे हैं, न कि निजी हितों के लिए।

निष्कर्ष

अगहन मास में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए हम अपने जीवन में किसी भी काम को शुरू करने से पहले मानसिक भ्रम से बच सकते हैं। जैसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया, “कर्म करो, फल की चिंता मत करो” — इस उपदेश को जीवन में उतारने से हम अपनी राह में आने वाली किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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