किला स्थित हनुमानजी की विशाल प्रतिमा के भूमि पूजन एवं स्थापना के उपलक्ष्य में हाफिजावादी राम नाटक क्लब के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर सत्संग प्रसंग पर चर्चा करते राधे राधे महाराज ने कहा कि कर्म का असल में बोध केवल ठाकुर जी कराते हैं, क्योंकि भगवान बुद्धि के दायक है। गणपति भगवन एवं गोवर्धन पूजा का कथा में वर्णन किया और कहा कि शास्त्रों में एवं गणपति स्तुति एवं गोवर्धन पर्वत पूजा की आराधना उपासना में कहा भी गया है।
गणपति जी एवं गोवर्धन महाराज की उपासना से उतनी ही बुद्धि प्राप्त हो जाएगी, जितनी समुद्र की गहराई है तथा जिस प्रकार से समुद्र की गहराई को नहीं मापा जा सकता, उसी प्रकार से गणेश जी की उपासना के बाद व्यक्ति के अंदर बुद्धि को नहीं मापा जा सकता । राधे राधे महाराज ने कहा कि उसी प्रकार से कर्म का बोध केवल सत्संग ही करा सकता है, ऐसा शास्त्रों में वर्णन आया है।
कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना निरर्थक
कर्म के बिना मनुष्य विचाराधीन रहता है, केवल विचार की दुनिया के अंदर भूला भटका जा इधर उधर का चिंतन करता हुआ अपने आपको खो देता है। राधे राधे महाराज ने कहा कि कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना निरर्थक है, क्योंकि कर्म ही धर्म की प्रथम सीढ़ी है। धर्म करने के लिए भी पहले हमें कर्म करना पड़ेगा, यद्यपि शास्त्रों में धर्म की भूमिका का विस्तृत वर्णन है। परंतु जहां धर्म की चर्चा पर शास्त्रों में विशेष चर्चा रही। वही भगवत गीता के अंदर योगीराज भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के पावन पवित्र स्थल पर केवल कर्म का बोध कराया, भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के अंदर कर्म को इतनी प्रधानता दी।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर राजीव भाटिया, गुलशन सेठी, अजय हुडिया, पिंकी भराड़ा, सुभाष भराड़ा, विशाल वर्मा, कर्ण भराड़ा, सुशील पटवारी, एडवोकेट अरविंद शर्मा, प्रिंसी कपूर, इंद्रजीत कथरिया, प्रिंस सहगल, कालू कपूर, हरीश चुघ, मनोज सेतिया, अमित मक्कड़, विजय सहगल, प्रमोद शर्मा, इंद्रजीत कथूरिया आदि सहित अनेक श्रद्वालु मौजूद रहे।