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Online होंगे काशी के मंदिर, लगेंगे QR कोड, पर्यटकों को मिलेंगी ये खास सुविधाएं

धर्म देश

देश की धार्मिक नगरी काशी के सभी प्रसिद्ध मंदिरों को Online करने की तैयारी की जा रही है। यहां बहुत से विदेशी मेहमान भी आते हैं। इन सभी को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग खास सुविधाएं भी देने की तैयारी में है। जानकारी मिली है कि इसके लिए सर्वे भी कराया जा रहा है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिले में स्थित करीब 700 धार्मिक स्थलों को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। इस धार्मिक स्थलों में शामिल जैन, बौद्ध और हिंदू मंदिर के अलावा गुरुद्वारे भी शामिल हैं।

जीर्णोधार के दौरान मंदिरों से जुड़े साहित्य को भी ऑनलाइन करने की तैयारी है। इसके लिए मंदिरों में क्यूआर कोड लगाया जाएगा। क्यूआर कोड लगने के बाद मंदिर से जुड़ी सारी जानकारी आपके मोबाइल फोन पर आ जाएगी। दो चरणों में शरू होने वाले इस काम के पहले चरण में 300 मंदिरों को डिजिटलीकरन किया जा चुका है मरम्मत की जाएगी। इसके अलग चरण में 700 धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इससे पर्यटन का भी विकास होगा साथ ही जिले को भी सुव्यवस्थित किया जाएगा।

20 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट

टूरिस्ट को काशी के मंदिरों, पर्यटन स्थलों की जानकारी ऑनलाइन करने के साथ ही उन्हें क्यूआर कोड से लैस करने से पर्यटकों को संबंधित स्थान की पूरी जानकारी मोबाइल पर दिखने लगेगी। बता दें कि यह प्रोजेक्ट करीब 20 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है।

राम मंदिर में पुजारियों के लिए ड्रेस कोड लागू

अयोध्या स्थित राम मंदिर को लेकर ट्रस्ट ने नया ड्रेस कोड भी तैयार किया है। जो 1 जुलाई से लागू हो गया है। नए ड्रेस कोड के तहत गर्भगृह में पुजारी भगवा पगड़ी, भगवा कुर्ता के साथ पीतांबरी पहननी होगी। इससे पहले पुजारी भगवा रंग का पूरा वस्त्र धारण करते थे।

पुजारियों को प्रशिक्षण दिया गया

इसके अलावा मंदिर के नए पुजारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। कुर्ते में बटन नहीं होने की स्थिति में धागे के इस्तेमाल से बांधा जाता है। वहीं पीले रंग की धोती के साथ ही सूती कपड़े का एक टुकड़ा कमर के चारो ओर बांधा जाता है। जो पैरों के घुटनों को ढकता है।

राम मंदिर में मुख्य पुजारी के साथ चार सहायक पुजारी के तौर पर प्रभु राम की सेवा कर रह है। वहीं प्रत्येक सहायक पुजारी के साथ पांच प्रशिक्षु पुजारी रखे गए हैं। ये सभी पुजारी सुबह 3.30 से लेकर रात 11 बजे के बीच तक पांच-पांच घंटे बारी-बारी से अपनी सेवाएं देते हैं। मंदिर प्रशासन ने इसके साथ ही भक्तों और पुजारी को मंदिर परिसर में मोबाइल ले जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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