पौराणिक कथाओं में भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। आमतौर पर लोग उनकी दो माताओं—देवकी (जिनसे उनका जन्म हुआ) और यशोदा (जिन्होंने उनका पालन-पोषण किया)—के बारे में जानते हैं। लेकिन ग्रंथों में एक तीसरी मां का भी उल्लेख मिलता है।

तीसरी मां का नाम: पूतना
ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि भगवान कृष्ण की तीसरी मां का नाम पूतना था। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले वामन अवतार लिया था और इस अवतार के मनोरम रूप में उन्होंने मानव कल्याण के लिए राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी। ऐसे में राजा बलि की पुत्री के मन में ख्याल आया था कि यदि ऐसा पुत्र मेरा हो तो मैं दूध में जहर देकर उसे मृत्यु प्रदान कर दूं। मन में आई इस इच्छा को भगवान जान गए थे और इसलिए उन्होंने तथास्तु कहा।

वामन अवतार की कथा:
भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर मानव कल्याण के लिए राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। इस दौरान राजा बलि की पुत्री के मन में एक विचार आया—अगर ऐसा पुत्र मेरा होता, तो मैं उसे जहर मिला दूध पिलाकर मार देती।
भगवान विष्णु ने उसकी इस इच्छा को भांप लिया और “तथास्तु” कह दिया।
द्वापरयुग में पूतना का जन्म:
द्वापरयुग में राजा बलि की पुत्री पूतना के रूप में जन्मी। भगवान श्रीकृष्ण ने भी इसी युग में जन्म लिया। पूतना को मामा कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए भेजा। जब पूतना ने श्रीकृष्ण को जहर मिला दूध पिलाने का प्रयास किया, तो भगवान ने उसे अपनी मां के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने अपने वचन को पूरा करते हुए पूतना को मोक्ष प्रदान किया। मृत्यु के बाद पूतना को कृष्ण धाम की प्राप्ति हुई।
पूतना का मातृत्व और मोक्ष
हालांकि पूतना का उद्देश्य श्रीकृष्ण को मारना था, लेकिन भगवान ने उसे उसकी पूर्वजन्म की इच्छा का फल दिया। पूतना को माता मानकर उसे मोक्ष प्रदान किया।
तीनों माताओं का महत्व
देवकी: जिन्होंने श्रीकृष्ण को जन्म दिया।
यशोदा: जिन्होंने उनका पालन-पोषण किया।
पूतना: जिन्होंने उनके मातृत्व की इच्छा को पूरा किया और मोक्ष प्राप्त किया।
यह कथा भगवान के दया और करुणा के स्वरूप को उजागर करती है, जो अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरा करते हैं, चाहे वह किसी भी रूप में हो।