Mrityu Panchak: दिसंबर के अंतिम महीने में एक अशुभ खगोलीय घटना का आगमन होने जा रहा है। 7 दिसंबर, शनिवार से पंचक का आरंभ हो रहा है, और यह विशेष रूप से गंभीर इसलिए है क्योंकि इसे ‘मृत्यु पंचक’ कहा जाता है।
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, जब पंचक का आरंभ शनिवार से होता है, तो इसका प्रभाव मृत्यु के समान कष्टकारी होता है। इस दौरान किए गए कार्यों के परिणाम पांच गुना अधिक अशुभ हो सकते हैं।
क्या है मृत्यु पंचक?
पंचक का अर्थ है पांच विशेष नक्षत्रों (धनिष्ठा का अंतिम चरण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती) का वह समय जब पृथ्वी पर चंद्रमा का प्रभाव तीव्र हो जाता है। पंचक के दौरान चंद्रमा की स्थिति पृथ्वी की कक्षा के 300 से 360 डिग्री क्षेत्र में होती है। इस समय को बेहद अशुभ माना जाता है क्योंकि किए गए अशुभ कार्यों का प्रभाव पांच गुना बढ़ जाता है।
ज्योतिषियों का कहना है कि इस काल में मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट बढ़ सकते हैं। इसे शास्त्रों में बुरी शक्तियों के प्रभाव का समय भी कहा गया है।
पंचक के दौरान क्या न करें?
1.शुभ कार्य: कोई नया कार्य आरंभ करना या शुभ काम जैसे शादी, गृह प्रवेश आदि करने से बचें।
2. यात्रा: खासकर दक्षिण दिशा की ओर यात्रा न करें। इसे यम की दिशा माना जाता है और यात्रा के दौरान दुर्घटना का भय रहता है।
3. निर्माण कार्य: मकान की छत डालने या अन्य निर्माण कार्य शुरू करने से बचें। इससे वास्तु दोष और दुर्घटनाओं की आशंका होती है।
4. खरीदारी: नई चीजें खरीदने से घर में नकारात्मकता बढ़ सकती है।
5. दाह संस्कार: पंचक काल में किसी के निधन पर शास्त्रों के अनुसार आटे या लकड़ी की पांच पुतलियों का दाह संस्कार भी करना चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा का निवारण हो।
कब खत्म होगा पंचक?
पंचक 11 दिसंबर, सोमवार को समाप्त होंगे। इन पांच दिनों को अत्यधिक सावधानी और सतर्कता के साथ बिताने की सलाह दी जाती है।
इस पंचक का प्रभाव क्यों खास है?
शनिवार से शुरू हो रहे पंचक का जुड़ाव ‘मृत्यु पंचक’ से है, जो इसे और भयावह बनाता है। मान्यता है कि इस दौरान अशुभ शक्तियां और भी ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं। यह समय न केवल खगोलीय दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी काफी संवेदनशील माना गया है। सावधानी बरतें और इन अशुभ दिनों में कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें।