Vastu Purusha Devta का जन्म पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच हुए एक भयंकर युद्ध के दौरान, भगवान शिव के पसीने की कुछ बूंदें धरती पर गिरीं। इन बूंदों से एक विशालकाय प्राणी का जन्म हुआ, जिसे वास्तु पुरुष कहा गया। इस प्राणी ने अपनी भूख मिटाने के लिए ब्रह्माण्ड की हर चीज को खाना शुरू कर दिया, जिससे देवता भयभीत हो गए। संसार को बचाने के लिए देवताओं ने ब्रह्मा जी की शरण ली।
ब्रह्मा ने अष्ट दिकपालकों (आठ दिशाओं के संरक्षक) को आदेश दिया कि इस प्राणी को धरती पर दबाकर रखें। उन्होंने इसे इस प्रकार स्थापित किया कि उसका सिर उत्तर-पूर्व दिशा में और पैर दक्षिण-पश्चिम दिशा में रहे।
जब वास्तु पुरुष ने पूछा कि उसे क्यों दंडित किया जा रहा है, तो ब्रह्मा ने उसे आशीर्वाद दिया कि जब भी कोई संरचना बनेगी, वह उसका हिस्सा होगा। अगर संरचना वास्तु नियमों के अनुसार होगी और उसकी पूजा की जाएगी, तो वह घर की ऊर्जा की रक्षा करेगा।
वास्तु मंडल का महत्व
वास्तु पुरुष को 45 ऊर्जा क्षेत्रों में बांटा गया है, जिसे वास्तु मंडल कहा जाता है। यह तीन भागों से मिलकर बना है:
- वास्तु – विवेक का प्रतीक
- पुरुष – शरीर का प्रतीक
- मंडल – आत्मा का प्रतीक
इन ऊर्जा क्षेत्रों को वास्तु पुरुष के शरीर के विभिन्न हिस्सों के अनुसार दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) वास्तु पुरुष का मस्तिष्क है, जो संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है और इसे खाली रखना चाहिए। ब्रह्म स्थान (मध्य भाग) को पवित्र माना जाता है और इसे खाली या हल्का रखना चाहिए। भारी निर्माण की अनुमति वाली जगहों को हाथों और जांघों के रूप में दर्शाया गया है।
वास्तु पुरुष के देवता
वास्तु पुरुष के शरीर में 32 देवताओं और 12 राक्षसों का वास है। इन 32 देवताओं में से कुछ हैं:
- ईश
- इन्द्र
- सूर्य
- यम
- वरुण
- रुद्र
- विष्णु आदि।
- इनमें से 13 देवता वास्तु मंडल के अंदर स्थित हैं, जैसे:
- आप
- सविता
- विष्णु
- ब्रह्मा
- रुद्र आदि
वास्तु पूजा का महत्व
पुराणों के अनुसार, किसी भी निर्माण कार्य से पहले वास्तु पुरुष की पूजा आवश्यक है। भूमि पूजन, नींव खोदने, मुख्य द्वार लगाते समय गृह प्रवेश के दौरान वास्तु पुरुष की पूजा से शुभ फल मिलते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, सुख-समृद्धि बढ़ती है और घर के सदस्यों पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।
वास्तु पुरुष देवता को मान्यता देना न केवल प्राचीन परंपरा है बल्कि इसे सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। वास्तु नियमों का पालन कर घर का निर्माण करना हर प्रकार से लाभकारी है।