अगर आप चार धाम की यात्रा नहीं कर सकते, तो Rewa का लक्ष्मण बाग मंदिर आपकी इस इच्छा को पूरा कर सकता है। 400 साल पुराने इस मंदिर की स्थापना रीवा के बघेल राजाओं ने 1618 ईस्वी में की थी। यहां चार धाम के देवी-देवताओं के विग्रह स्थापित हैं, जिससे भक्तों को चार धाम यात्रा का फल मिलता है।
कैसे पड़ा लक्ष्मण बाग नाम?
इतिहासकार असद खान के अनुसार, लक्ष्मण बाग मंदिर का नाम रीवा राजघराने के आराध्य देव भगवान लक्ष्मण के नाम पर रखा गया। मान्यता है कि रीवा के राजगद्दी पर भगवान लक्ष्मण का ही अधिकार है। मंदिर की स्थापना रीवा के बघेल नरेशों ने की थी, जिससे यह स्थान रीवा के इतिहास और आस्था का केंद्र बन गया।
मंदिर की भव्यता और विशेषता

- स्थान: रीवा जिला मुख्यालय से 2 किलोमीटर दूर, बिछिया नदी के तट पर स्थित।
- विशेषता: मंदिर के तीन ओर से बिछिया नदी बहती है, जिससे यह स्थान एक प्राकृतिक आभा के साथ धार्मिक महत्व भी प्राप्त करता है।
- चार धाम स्वरूप: मंदिर में चारों धाम के देवी-देवताओं के विग्रह स्थापित हैं।
- धार्मिक आयोजन: समय-समय पर यहां बड़े धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है।
मंदिर की स्थापना और संपत्ति

बघेल राजवंश ने रीवा को राजधानी बनाने के बाद लक्ष्मण बाग मंदिर की स्थापना की। मंदिर की आय हमेशा स्थिर बनी रहे, इसके लिए बघेल राजाओं ने इसे भूमि दान में दी।
- लक्ष्मण बाग संस्थान आज भी रीवा का प्रमुख धार्मिक केंद्र है।
- संस्थान के तहत देशभर में मंदिरों और आश्रमों का निर्माण कराया गया।
- रीवा के राजा ने तीर्थ स्थलों पर जमीन खरीदकर मंदिरों और आश्रमों का निर्माण किया, ताकि रीवा से तीर्थ यात्रा पर जाने वाले लोगों को ठहरने की सुविधा मिल सके।
लक्ष्मण बाग मंदिर का महत्व
लक्ष्मण बाग मंदिर रीवा की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। यह मंदिर न केवल स्थानीय भक्तों के लिए, बल्कि देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। अगर आप चार धाम यात्रा का फल पाना चाहते हैं, तो लक्ष्मण बाग मंदिर में माथा टेकें। यहां का वातावरण और मंदिर की भव्यता आपके मन को शांति और आस्था से भर देगा।





