Vipul Goyal

Chandigarh में मंत्री Vipul Goyal को सरकारी कोठी मिलने में क्यों हो रही है परेशानियां? जो पसंद की वह नहीं मिली

हरियाणा चंडीगढ़

हरियाणा सरकार के शहरी एवं स्थानीय निकाय विभाग (ULB) मंत्री Vipul Goyal पिछले तीन महीने से Chandigarh में सरकारी कोठी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें अपनी पसंद की कोठी नहीं मिल पाई है। यह सिर्फ संयोग नहीं बल्कि एक दिलचस्प सिलसिला है, जहां हर बार उनकी पसंदीदा कोठी किसी न किसी वजह से उनके हाथ से फिसल जाती है। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी कोठी संकट की पूरी कहानी।

अक्टूबर 2024 में जब बीजेपी सरकार बनी, तो विपुल गोयल ने सेक्टर-7 स्थित कोठी नंबर 70 की मांग की। यह कोठी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष के रूप में आवंटित थी। लेकिन हुड्डा ने इसे खाली नहीं किया, जिससे मंत्री गोयल की यह इच्छा अधूरी रह गई।

दूसरी कोठी: वास्तु दोष बना रोड़ा

इसके बाद गोयल ने सेक्टर-7 में ही कोठी नंबर 68 को पसंद किया। जब इसकी वास्तु जांच करवाई गई, तो पंडित ने इसे रहने के लिए अशुभ बताया। नतीजा यह हुआ कि गोयल ने इसे लेने से इनकार कर दिया।

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तीसरी कोठी: प्रशासन ने नहीं दी इजाजत

गोयल ने सेक्टर-7 में ही पूर्व सीएम हुड्डा के सामने वाली एक कोठी पर नजर डाली, जो चंडीगढ़ प्रशासन के अधीन थी। लेकिन प्रशासन से मंजूरी न मिलने की वजह से यह भी उनकी पहुंच से दूर रह गई।

अब किस कोठी पर है निगाह?

अब मंत्री गोयल ने रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी टीवीएसएन प्रसाद की सेक्टर-16 स्थित कोठी की मांग की है। लेकिन नियमों के मुताबिक, प्रसाद को रिटायरमेंट के बाद छह महीने तक कोठी में रहने की अनुमति है। अगर वे चाहें, तो इस अवधि को और बढ़ा सकते हैं। ऐसे में यह कोठी भी जल्द मिलने की संभावना कम ही दिख रही है।

अनिल विज को भी कोठी नहीं मिली

केवल गोयल ही नहीं, बल्कि बिजली, परिवहन व श्रम मंत्री अनिल विज भी सरकारी कोठी के इंतजार में हैं। उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर-3 स्थित कोठी नंबर-32 को पसंद किया था, लेकिन यह पहले ही ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्णलाल पंवार को अलॉट कर दी गई। इसलिए विज ने अब तक कोई सरकारी कोठी नहीं ली और वे अंबाला से सचिवालय अप-डाउन कर रहे हैं।

आखिर क्यों नहीं मिल रही मंत्री को कोठी?

मंत्रियों के लिए चंडीगढ़ में सरकारी आवास का प्रबंध पहले से तय होता है, लेकिन कई मामलों में कोठी खाली न होने या अन्य तकनीकी कारणों से नई सरकार बनने के बाद भी उन्हें आवास मिलने में देरी होती है। विपुल गोयल के मामले में बार-बार किसी न किसी कारण से उनकी पसंदीदा कोठी हाथ से निकलती जा रही है। अब देखना होगा कि आखिरकार उन्हें कब और कौन-सी कोठी मिलती है।

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