अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल का पहला भाषण अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र में दिया, जहां उन्होंने वैश्विक व्यापार नीतियों पर सख्त रुख अपनाने की घोषणा की। ट्रम्प ने विशेष रूप से भारत का जिक्र करते हुए कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100% से ज्यादा टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भी 2 अप्रैल से उसी अनुपात में टैरिफ लगाएगा। इस ऐलान के बाद वैश्विक व्यापारिक माहौल में हलचल मच गई है, जबकि अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट सांसदों ने ट्रम्प की इस नीति का कड़ा विरोध किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 4 मार्च 2025 को अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। यह उनके दूसरे कार्यकाल का पहला आधिकारिक भाषण था, जो लगभग 1 घंटे 40 मिनट तक चला। यह अमेरिकी इतिहास में किसी भी राष्ट्रपति का सबसे लंबा संबोधन था।

ट्रम्प ने अपने भाषण में ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को दोहराते हुए आर्थिक विकास, आयातित वस्तुओं पर टैरिफ और कर कटौती पर जोर दिया। उन्होंने घोषणा की कि 2 अप्रैल से अमेरिका ‘जैसे को तैसा’ टैरिफ लागू करेगा, यानी जो देश अमेरिका पर जितना टैरिफ लगाएंगे, अमेरिका भी उन पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिका के पास दुनिया के किसी भी देश से अधिक ‘लिक्विड गोल्ड’ (तेल और गैस) मौजूद है। उन्होंने अलास्का में एक विशाल प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बनाने की योजना की घोषणा की, जिसमें जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश भागीदार बनने को इच्छुक हैं।

इस दौरान डेमोक्रेट सांसदों ने ट्रम्प की नीतियों का कड़ा विरोध किया। कुछ सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया, जबकि अन्य ने ‘मस्क चोरी कर रहे हैं’ और ‘स्वास्थ्य मदद बचाएं’ जैसे नारे लगाए। टेक्सास के डेमोक्रेट सांसद अल ग्रीन को हंगामे के कारण सदन से बाहर निकाल दिया गया।

ट्रम्प ने अपने प्रशासन की उपलब्धियों पर जोर देते हुए कहा कि उन्होंने 43 दिनों में वह कर दिखाया है, जो अन्य सरकारें अपने पूरे कार्यकाल में नहीं कर पातीं। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका का ‘सुनहरा युग’ शुरू हो चुका है और यह तो सिर्फ शुरुआत है। उनके इस भाषण ने अमेरिकी राजनीति में गहराते विभाजन को एक बार फिर उजागर कर दिया।
