Nuh जिले के धीरदूका गांव में किसानों और पुलिस के बीच जबरदस्त झड़प हो गई। 9 गांवों के किसान भूमि मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे, लेकिन जब पुलिस और HSIIDC के कर्मचारी नालियों और रास्तों के निर्माण कार्य को लेकर मौके पर पहुंचे, तो किसानों ने काम रोकने का विरोध किया। पुलिस की अपील के बावजूद किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे, जिसके बाद पुलिस ने कई किसानों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें हरियाणा रोडवेज की 4 बसों में भरकर थाने ले गई।
किसानों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे काम नहीं करने देंगे। इसी को लेकर सोमवार को भी किसानों ने जेसीबी मशीनों को रोककर कार्य को रुकवाया। किसानों ने यह स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुईं तो वे इसी तरह से धरना जारी रखेंगे।
घटनाक्रम:
धीरदूका गांव में किसानों का आंदोलन तब और उग्र हुआ जब पुलिस प्रशासन और HSIIDC के कर्मचारी नालियों और रास्तों के निर्माण कार्य को लेकर वहां पहुंचे। किसानों ने जेसीबी मशीनों पर चढ़कर काम को रोक दिया। एक बुजुर्ग महिला भी गर्मी से बेहोश हो गई, जिसे तत्काल अस्पताल भेजा गया। किसानों ने इस दौरान कहा कि वे किसी भी हाल में काम को होने नहीं देंगे और धरना जारी रखेंगे।
भूमि अधिग्रहण विवाद:
यह विवाद 2010 में शुरू हुआ था जब आईएमटी रोजकामेव के लिए 9 गांवों की 1600 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी। सरकार ने प्रति एकड़ 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया था। बाद में कुछ अन्य गांवों के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर की और मुआवजा बढ़ाने की मांग की। कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें 2 करोड़ प्रति एकड़ मुआवजा मिला। इसके बाद, धीरदूका और अन्य गांवों के किसानों ने भी मुआवजा बढ़ाने की मांग की और धरने पर बैठ गए।
सरकार ने किसानों को मुआवजा देने के लिए 46 लाख रुपये प्रति एकड़ की पेशकश की थी, लेकिन किसानों का आरोप है कि उन्हें अब तक 25-25 लाख रुपये नहीं दिए गए हैं। इसी मुद्दे को लेकर किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं और प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।
पुलिस और प्रशासन की अपील:
पुलिस प्रशासन ने शांति बनाए रखने और काम को जारी रखने की अपील की, लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे। फिलहाल, धीरदूका गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।