Haryana में नए मेयरों के पद संभालने से पहले 62 नगर निकायों में करीब 1400 करोड़ की टेंपरेरी एडवांस में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। विधानसभा की एक कमेटी ने यह गड़बड़ी पकड़ी, जिसमें अधिकारियों ने कामकाज के लिए एडवांस तो लिया, लेकिन इसका कोई हिसाब या सबूत नहीं दिया गया कि इन पैसों को कहां खर्च किया गया। सबसे ज्यादा गड़बड़ी गुरुग्राम नगर निगम में पाई गई है।
कमेटी का बयान: गबन की संभावना
कमेटी ने इस मामले को गंभीर गबन की संभावना के रूप में देखा और इसकी जांच की सिफारिश की है। कमेटी का कहना है कि संबंधित जिला नगर आयुक्तों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को इन एडवांस का एडजस्टमेंट करने के लिए सख्त निर्देश दिए जाएं। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो इन अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा सकती है।
ऑडिट रिपोर्ट में गड़बड़ी के मुख्य बिंदु:
- ऑडिट ऑब्जेक्शंस पर ध्यान नहीं दिया गया: डिप्टी स्पीकर कृष्ण लाल मिड्ढा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि पूरे मामले में रिकॉर्ड नहीं हैं, जिससे वित्तीय अनियमितताएं हो सकती हैं। पैनल ने बताया कि बड़ी संख्या में ऑडिट ऑब्जेक्शंस लंबित हैं, जिन्हें अधिकारी निपटाने में कोई गंभीर प्रयास नहीं कर रहे।
- समय सीमा के भीतर निपटारा हो: कमेटी ने सिफारिश की कि नगर पालिकाओं में एक विशेष अभियान चलाकर इन ऑडिट पैरों और आपत्तियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर निपटाया जाए।
- 10 निगमों, 18 परिषदों और 34 समितियों से जुड़ा मामला: इस गड़बड़ी में 10 नगर निगमों, 18 नगर परिषदों और 34 नगर समितियों का हिसाब है। स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग के मुताबिक, 2019-20 में अस्थायी एडवांस की बड़ी राशि बकाया है, जिसे निपटाने के लिए बार-बार निर्देश दिए गए थे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- फरीदाबाद-गुरुग्राम में सबसे बड़ी गड़बड़ी: कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, 1,395.98 करोड़ में से 781.75 करोड़ रुपए फरीदाबाद नगर निगम और 403.86 करोड़ रुपए गुरुग्राम नगर निगम में बकाया हैं। इसके अलावा, संपत्ति कर, भवन योजना आवेदन और बकाया प्रमाण पत्र से संबंधित अभिलेखों की कई सालों से ऑडिट के लिए पेश नहीं किए जाने पर भी आपत्ति जताई गई है।