- डबवाली और बैजनाथ पपरोला रेलवे स्टेशन का वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे, डबवाली पर 13.22 करोड़ रुपए खर्च
- डबवाली स्टेशन को आधुनिक स्वरूप देने के साथ यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं और स्टेशन पर लाइव उद्घाटन कार्यक्रम का प्रसारण होगा
- डबवाली रेलवे स्टेशन का ऐतिहासिक महत्व, 1903 से संचालन में, अब बठिंडा-बीकानेर रूट पर हरियाणा का एकमात्र स्टेशन
AmritBharatYojana: अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत आज का दिन हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के लिए विशेष है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डबवाली (हरियाणा) और बैजनाथ पपरोला (हिमाचल) रेलवे स्टेशनों का वर्चुअल उद्घाटन किया जाएगा। डबवाली रेलवे स्टेशन को 13.22 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक रूप दिया गया है, जिसमें न केवल यात्री सुविधाएं जोड़ी गई हैं बल्कि स्टेशन की वास्तुकला को भी नया आयाम दिया गया है।
इस मौके पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी डबवाली रेलवे स्टेशन पर उपस्थित रहेंगे। वह पहले हवाई मार्ग से सिरसा एयरबेस आएंगे और वहां से हेलिकॉप्टर द्वारा डबवाली पहुंचेंगे। उद्घाटन कार्यक्रम का लाइव प्रसारण स्टेशन परिसर में सुबह 9:30 बजे से दिखाया जाएगा, जिसके लिए पार्किंग क्षेत्र में विशेष व्यवस्था की गई है—जिसमें एलईडी स्क्रीन, बैठने की सुविधा और गर्मी से बचाव के प्रबंध शामिल हैं।
रेलवे प्रशासन, पुलिस और स्थानीय नेता कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे हैं। रेलवे की ओर से चीफ इंजीनियर सीमा शर्मा और केजीएम ललित महेश्वरी, जबकि प्रशासन की ओर से स्थानीय भाजपा नेता बलदेव सिंह मंगेयाना और कष्ट निवारण समिति के सतीश तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं।
डबवाली रेलवे स्टेशन का इतिहास अंग्रेजों के समय से जुड़ा हुआ है। 1895 में रेलवे लाइन का निर्माण शुरू हुआ और 1903 से यहां रेल सेवाएं शुरू हुईं। उस समय यह बीकानेर और बठिंडा से जुड़ा था। अब यह स्टेशन बठिंडा से बीकानेर रूट पर हरियाणा का एकमात्र स्टेशन है, जिससे 24 यात्री ट्रेनें और लगभग 30 मालगाड़ियां गुजरती हैं।
रेलवे सलाहकार बोर्ड के सदस्य सुरेश मित्तल ने बताया कि इस स्टेशन को अमृत भारत योजना में शामिल कर के इसका कायाकल्प किया गया है। अब यह न केवल आधुनिक तकनीकी और यात्री सुविधाओं से सुसज्जित है, बल्कि यह डबवाली की सांस्कृतिक पहचान और विकास के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा।
इस परियोजना के माध्यम से डबवाली को व्यापार, आवागमन और सामाजिक गतिविधियों में नई गति मिलेगी, जिससे क्षेत्र की आर्थिक और बुनियादी ढांचे की मजबूती सुनिश्चित होगी।