➤ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में हरियाणा-पंजाब और दिल्ली की 294.19 करोड़ की संपत्ति की जब्ती की कार्रवाई की
➤ सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड पर 950 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी और दिवाला कानून के दुरुपयोग का आरोप
➤ फर्जी कंपनियों के जरिए धन को ठिकाने लगाने की साजिश में कई गिरफ्तार, मामला अब NCLT के दायरे में
Sun Star Overseas bank fraud: हरियाणा के सोनीपत, गुरुग्राम, करनाल, पंजाब के अमृतसर और दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड और उसके पूर्व निदेशकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने शुक्रवार को कंपनी की 294.19 करोड़ रुपए की अचल और चल संपत्तियां जब्त कीं, जो 950 करोड़ रुपए की बैंक धोखाधड़ी से जुड़ी हुई मानी जा रही हैं।
सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड के पूर्व निदेशक रोहित अग्रवाल, मनीक अग्रवाल, सुमित अग्रवाल पर आरोप है कि इन्होंने 9 बैंकों के कंसोर्टियम से भारी-भरकम कर्ज लिया और उसे जानबूझकर चुकाया नहीं। यह ऋण बाद में नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित कर दिया गया। इसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की, जिसके आधार पर ईडी ने भी पीएमएलए (PMLA) के तहत केस रजिस्टर किया।
जब्त संपत्तियों का ब्योरा:
ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्तियों में शामिल हैं:
- सोनीपत, गुरुग्राम और अमृतसर में 72 एकड़ कृषि भूमि और भवन – 210.6 करोड़
- दिल्ली के सिविल लाइंस क्षेत्र में दो लग्ज़री बंगले – 77 करोड़
- करनाल में चार फ्लैट – 1.54 करोड़
- बैंक बैलेंस – 1.27 करोड़
- फिक्स्ड डिपॉजिट – 3.78 करोड़
दिवाला कानून का दुरुपयोग:
ईडी की जांच में पता चला कि कंपनी पर जब 1274.14 करोड़ रुपए का दावा बकाया था, तब एक सेल कंपनी ‘उमैजा इन्फ्राकॉन LLP’ ने महज 196 करोड़ रुपए में दिवाला प्रक्रिया के तहत इसे अपने कब्जे में ले लिया। यह फर्म अजय यादव के नाम पर थी, जिसके पास न पूंजी थी और न ही वैध कारोबारी गतिविधि।
जनवरी 2025 में इस साजिश को लेकर तीन आरोपियों – अजय यादव, राकेश गुलाटी और परमजीत – को गिरफ्तार किया गया था। इन पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी कागज़ात और दिखावटी लेन-देन के जरिए कंपनी पर फिर से कब्जा करने का प्रयास किया।
ईडी की जांच के बड़े खुलासे:
जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने बैंक से लिए गए लोन को फर्जी कंपनियों के जरिए घुमाया, और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की प्रक्रिया को गलत ढंग से इस्तेमाल कर पूरे दिवाला कानून को कमजोर किया।
इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए अब यह मामला एनसीएलटी के साथ-साथ ईडी और सीबीआई दोनों के स्कैनर पर है।