➤ कैबिनेट में बिना चर्चा के लागू की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम को बताया पेआऊट स्कीम, कर्मचारी विरोध में
➤ धारीवाल बोले – यूपीएस का मकसद कर्मचारियों की बचत पर कब्जा कर शेयर बाजार में निवेश बढ़ाना है
➤ एनपीएस और यूपीएस नहीं, सिर्फ ओपीएस ही कर्मचारियों की मांग, संघर्ष समिति आंदोलन की चेतावनी पर अडिग
हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में कैबिनेट मीटिंग में घोषित की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पर पेंशन बहाली संघर्ष समिति ने कड़ा ऐतराज जताया है। समिति के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने इस योजना को “पेआऊट स्कीम” करार देते हुए कहा कि यह कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से खिलवाड़ है और सरकार की मंशा एनपीएस में फंसे पैसे को शेयर बाजार में और झोंकने की है।
धारीवाल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एनपीएस कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा में नाकाम रही है, और अब सरकार यूपीएस के नाम पर वही पुराना ढांचा थोपने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार संघर्ष समिति से वार्ता नहीं करती और पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल नहीं करती, तो कर्मचारी आंदोलन के रास्ते पर जाएंगे।
यूपीएस के खिलाफ उठाए गए मुख्य बिंदु:
- पूर्ण पेंशन गारंटी का अभाव: UPS में 50% पेंशन केवल तब मिलती है जब सेवा 25 साल से अधिक हो, वो भी मार्केट आधारित कॉर्पस से जुड़ी शर्तों पर।
- अपने अंशदान की वापसी नहीं: सेवा के दौरान कर्मचारी वेतन और डीए का 10% अंशदान देता है, जो रिटायरमेंट या मृत्यु पर भी वापिस नहीं मिलता।
- सरकार की परिभाषित जिम्मेदारी नहीं: UPS में सरकार किसी न्यूनतम पेंशन की गारंटी नहीं देती।
- बाजार आधारित जोखिम: पेंशन पूरी तरह से शेयर बाजार की स्थिति पर निर्भर करती है।
- जीपीएफ का न होना: UPS में GPF की सुविधा नहीं दी गई है।
- पेंशन पात्रता सीमित: OPS में 10 साल की सेवा के बाद पेंशन मिलती थी, UPS में न्यूनतम 25 साल और अन्य जटिल शर्तें।
- DA समायोजन का अभाव: UPS में स्वचालित DA बढ़ोतरी लागू नहीं होती।
- एकमुश्त निकासी पर रोक: रिटायरमेंट पर भी सीमित निकासी और वह भी अंतिम पेंशन को प्रभावित करती है।
- फैमिली पेंशन में कटौती: UPS में मृत्यु के बाद पत्नी/पति को कम पेंशन मिलती है।
- इस्तीफा देने पर पेंशन नहीं: UPS में इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं।
- जटिल प्रक्रिया: कई एजेंसियों के माध्यम से काम और भारी कागजी कार्रवाई।
धारीवाल का सीधा संदेश:
विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि सरकार बिना संघर्ष समिति से राय लिए कर्मचारियों पर UPS थोप रही है, जबकि केंद्र सरकार की तरफ से भी जब यह विकल्प दिया गया था, तो 30 लाख केंद्रीय कर्मचारियों में से केवल 20 हजार ने ही इसे चुना, जिससे साफ होता है कि कर्मचारी UPS को नहीं चाहते।
उन्होंने कहा कि सरकार यदि वास्तव में कर्मचारियों के हितैषी है, तो पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति के साथ चर्चा शुरू करे और ओपीएस लागू करे, वरना संघर्ष समिति आंदोलन के रास्ते पर जाने को बाध्य होगी।