हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा 14 जून 2025 को जारी किए गए ग्रुप-C पदों के संशोधित परिणाम को लेकर आज, 7 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होगी। कोर्ट में यह मामला उस वक्त गरमा गया जब इस संशोधन से 781 उम्मीदवारों की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया, जबकि 1699 नए अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया।
दरअसल, HSSC ने यह संशोधन पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्रों को लेकर एक पुराने हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर किया था। आयोग ने उन प्रमाण पत्रों को मान्य कर लिया जो कट ऑफ डेट के बाद जारी किए गए थे। इससे कई चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी बदल गई और कुछ मेरिट से बाहर हो गए। इससे नाराज होकर कई उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और संशोधित परिणाम पर रोक की मांग की।
इस पर हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप मौदगिल की खंडपीठ ने परिणाम पर रोक लगाते हुए कहा कि यह मामला हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की उसी प्रकार की अपील के साथ सुना जाएगा, जो फिलहाल विचाराधीन है। यानी आज इन दोनों संवेदनशील मामलों की संयुक्त सुनवाई होनी है, जिससे हजारों युवाओं की नौकरी का भविष्य जुड़ा हुआ है।
क्या है पूरा विवाद?
2024 अक्टूबर में घोषित मूल परिणाम के बाद कई अभ्यर्थियों ने यह कहकर कोर्ट का रुख किया था कि आयोग ने उनके आवेदन सिर्फ इसलिए रद्द कर दिए क्योंकि उनके पिछड़ा वर्ग (BC) प्रमाण पत्र 1 अप्रैल 2023 के बाद जारी हुए थे। जबकि उनके पास PPP (परिवार पहचान पत्र) में जातीय जानकारी पहले से मौजूद थी, जो प्रमाण का पर्याप्त आधार हो सकती थी।
याचिकाकर्ताओं का यह भी तर्क था कि आयोग ने कट ऑफ तिथि को कठोरता से लागू कर हजारों योग्य युवाओं को बाहर कर दिया। इस पर हाईकोर्ट की जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने अक्टूबर 2024 के परिणाम को रद्द कर HSSC को निर्देश दिए कि ऐसे प्रमाण पत्रों को स्वीकार किया जाए। इसी आदेश के अनुपालन में 14 जून 2025 को संशोधित परिणाम जारी किया गया।
रिजल्ट में बदलाव का असर
इस परिणाम से जहां 1699 नए उम्मीदवारों को नियुक्ति मिल गई, वहीं 781 पहले से नियुक्त अभ्यर्थी बाहर कर दिए गए हैं। न सिर्फ यह, बल्कि बहुत से उम्मीदवारों की कैटेगरी भी अचानक बदल गई है।
शनिवार सुबह 4 बजे आयोग की वेबसाइट पर अपलोड हुए इस फाइनल परिणाम ने बड़ी संख्या में युवाओं को सदमे में डाल दिया। इसके बाद कोर्ट में याचिकाओं का दौर फिर शुरू हुआ और अब न्यायिक फैसला इस बात पर केंद्रित है कि HSSC का यह संशोधन वैध था या नहीं।
क्या है अगला कदम?
अगर हाईकोर्ट संशोधित परिणाम को निरस्त करता है, तो बाहर हुए 781 युवाओं को राहत मिल सकती है और नए चयनितों की नियुक्ति पर रोक लग सकती है। वहीं, यदि संशोधित परिणाम को सही ठहराया गया, तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है।