➤हरियाणा में अब खराब मौसम या कम विजिबिलिटी में भी फ्लाइट्स उड़ सकेंगी; हिसार एयरपोर्ट को VFR से IFR प्रणाली में बदला जाएगा।
➤IFR लाइसेंस मिलने के बाद 1400 मीटर दृश्यता में भी उड़ान और लैंडिंग संभव होगी, जबकि वर्तमान में 5000 मीटर दृश्यता अनिवार्य है।
➤हरियाणा सरकार अगले सप्ताह तक IFR अपग्रेड और नए लाइसेंस के लिए DGCA को आवेदन भेजेगी।
हरियाणा में अब खराब मौसम और कम दृश्यता की स्थिति में भी विमान उड़ान भर सकेंगे। राज्य सरकार के सिविल एविएशन डिपार्टमेंट ने इस दिशा में कदम उठाते हुए हिसार एयरपोर्ट के संचालन को विजुअल फ्लाइट रूल्स (VFR) से इंस्ट्रूमेंट फ्लाइट रूल्स (IFR) में बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए हिसार एयरपोर्ट प्रशासन ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को पत्र भेजकर यह तकनीकी अपग्रेडेशन मांगा है।
VFR प्रणाली के तहत विमान संचालन बाहरी दृश्य संकेतों पर निर्भर करता है, जिससे केवल साफ मौसम में ही उड़ान संभव हो पाती है। जबकि IFR प्रणाली में पायलट बिना बाहरी संकेतों के, आधुनिक उपकरणों के माध्यम से उड़ान भर सकते हैं। इससे धुंध, कोहरा, अंधेरा या बारिश जैसी परिस्थितियों में भी फ्लाइट ऑपरेशन सुचारु रूप से संभव हो पाएगा।
1400 मीटर दृश्यता में उड़ान संभव
DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के ऑपरेशनल डायरेक्टर प्रशांत फुलमरे ने बताया कि IFR लाइसेंस मिलने के बाद 1400 मीटर तक की दृश्यता में भी विमान उड़ और उतर सकेंगे। अभी VFR प्रणाली में न्यूनतम 5000 मीटर विजिबिलिटी जरूरी है। इसके लिए नाइट लैंडिंग सिस्टम पहले ही हिसार रनवे पर स्थापित किए जा चुके हैं, और अगला चरण IFR लाइसेंस प्राप्त करना है। इससे न केवल मौसमी बाधाएं कम होंगी, बल्कि एयरपोर्ट का संचालन भी अधिक व्यावसायिक रूप से प्रभावी होगा।
लाइसेंस की समयसीमा और नया आवेदन
हिसार एयरपोर्ट को मौजूदा तौर पर जो ऑपरेशनल लाइसेंस मिला है, वह मार्च 2025 में जारी हुआ था और केवल छह महीने के लिए वैध है। यह 14 अप्रैल 2025 से लागू हुआ और अक्टूबर तक मान्य है। इसी के तहत विमान कंपनी ‘अलायंस एयर एविएशन’ ने 24 अक्टूबर तक टिकट बुकिंग शुरू कर रखी है। इसके बाद अगर लाइसेंस का नवीनीकरण समय पर नहीं हुआ, तो हवाई संचालन रुक सकता है। इसलिए हरियाणा सरकार अगले सप्ताह तक नए लाइसेंस और IFR अपग्रेड के लिए आवेदन करने जा रही है।
विजिबिलिटी की चुनौती और तकनीकी समाधान
हरियाणा में नवंबर से फरवरी के बीच विजिबिलिटी का स्तर बेहद कम हो जाता है। नवंबर में पराली से उठने वाला धुआं और नमी मिलकर स्मॉग बनाते हैं, जिससे पूरे महीने आसमान धुंधला रहता है। इसके बाद दिसंबर और जनवरी में कोहरे की स्थिति रहती है, जिससे उड़ानें बाधित होती हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए ‘इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम’ (ILS) की योजना पर काम शुरू हो गया है। यह प्रणाली पायलटों को रनवे की दिशा में सीधा मार्गदर्शन करती है, जिसमें दो रेडियो बीम की सहायता से रनवे की स्थिति को समझा जाता है। इससे पायलट ब्लाइंड लैंडिंग भी कर सकते हैं और खराब विजिबिलिटी के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग संभव हो पाती है।
यह तकनीकी और प्रशासनिक बदलाव हरियाणा को बेहतर हवाई कनेक्टिविटी की ओर ले जाएगा, और हिसार एयरपोर्ट भविष्य में राज्य का एक महत्वपूर्ण एविएशन हब बनने की दिशा में अग्रसर होगा।

