➤दिल्ली में SYL नहर को लेकर पंजाब-Haryana CM और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अहम बैठक।
➤पंजाब CM भगवंत मान ने फिर दोहराई रावी-चिनाब के पानी की शर्त, बोले- SYL तभी बनेगी जब हमें पानी मिलेगा।
➤हरियाणा के CM सैनी ने जताई उम्मीद—मामले के हल की दिशा में आगे बढ़ रही बातचीत।
दिल्ली में सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर मंगलवार को पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की चौथी बैठक आयोजित हुई। यह बैठक केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में हुई, जिसमें दोनों राज्यों ने एक बार फिर मामले को सुलझाने की कोशिश की। मीटिंग से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने गर्मजोशी से एक-दूसरे का स्वागत किया और गले मिले।
बैठक में पंजाब की ओर से CM भगवंत मान ने रावी और चिनाब नदी के पानी की उपलब्धता की शर्त दोहराई। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक पंजाब को अपना पानी नहीं मिलेगा, तब तक SYL नहर का निर्माण नहीं होगा। मान ने कहा, “हरियाणा तो हमारा भाई है। हम भाई घन्नैया के वारिस हैं, जिन्होंने दुश्मनों को भी पानी पिलाया था। अगर हमें 23 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी मिल जाता है, तो दो-तीन MAF हरियाणा को देने में कोई दिक्कत नहीं है। SYL नहर के साथ दो-चार नहरें पंजाब में भी बन जाएंगी, और हम फिर से रिपेरियन राज्य बन जाएंगे।”
CM मान ने यह भी मांग की कि पाकिस्तानी हमलों के बाद रद्द हुए इंडस वाटर समझौते के तहत रावी और चिनाब का पानी पंजाब को दिया जाए। उन्होंने कहा कि झेलम का पानी तो नहीं लाया जा सकता, लेकिन बाकी पानी पौंग, रंजीत सागर और भाखड़ा डैम के जरिए पंजाब पहुंच सकता है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बैठक को “सार्थक और सकारात्मक” बताया और कहा कि दोनों राज्य भाई हैं, और इस मामले का समाधान आपसी समझ से ही निकलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई से पहले कोई सकारात्मक हल निकल सकता है।
बता दें कि SYL नहर की लंबाई 212 किलोमीटर है, जिसमें से हरियाणा का 92 किलोमीटर हिस्सा पहले ही बन चुका है, जबकि पंजाब का 122 किलोमीटर हिस्सा अभी अधूरा है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2002 में इस नहर के निर्माण का आदेश पंजाब सरकार को दिया था, लेकिन 2004 में पंजाब विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा 1981 के समझौते को रद्द कर दिया गया।
इससे पहले इस मुद्दे पर तीन बार बैठकें हो चुकी हैं — 18 अगस्त 2020, 14 अक्टूबर 2022 और 4 जनवरी 2023 — लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल पाया था। अब 13 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले सरकार इस मुद्दे को सुलझाने की नई कोशिश कर रही है।