शनिदेव और सूर्य देव दोनो में गहरी दुश्मनी है। भले ही इन दोनों के बीच बाप-बेटे का रिश्ता है। लेकिन शनि देव, सूर्य देव के पुत्र हैं। अब सवाल यह उठता है कि पिता-पुत्र का रिश्ता होते हुए भी इन दोनों के बीच इतनी गहरी दुश्मनी क्यों है, इसके उत्तर हमें पौराणिक कथाओं के द्वारा मिलेगें।
पुराणों के अनुसार शनिदेव को न्याय का देवता या धर्मराज कहा गया है। वह लोगों को कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि देव के बारे में काफी कथाएं प्रचलित है। इन्हीं कथाओं में से एक है शनिदेव और उनके पिता सूर्य के बीच प्रेम नहीं बल्कि शत्रुता का भाव होना। बता दें कि शनिदेव भगवान सूर्य और माता संवर्णा के पुत्र हैं। माना जाता है कि शनिदेव और सूर्यदेव के बीच आपसी संबंध मधुर नहीं है। जानिए आखिर इसके पीछे की क्या है वजह?
शनि देव और सूर्य देव क्यों है शत्रु जानिए इसके पीछे की कहानी
दक्ष की पुत्री संज्ञा से सूर्यदेव का विवाह हुआ। इसके बाद उन दोनों को तीन बच्चों का आशीर्वाद मिला। इन तीनों ने जन्म लिया उसके बाद इन बच्चों का नाम मनु, यमराज और यमुना रखा गया। संज्ञा अपने पति सूर्यदेव की रोशनी से काफी विचलित थीं। तो संज्ञा अपने पिता के पास अपनी परेशानी लेकर पहुंची। उस समय उसके पिता ने उन्हें सूर्य लोक वापस जाने का आदेश दिया और कहा कि अब उनका घर सूर्य लोक ही है।
यह सुनते ही संज्ञा तुरंत सूर्यलोक लौट आई। उसी समय संज्ञा ने सूर्य देव से दूर रहने की सोची और अपनी हमशक्ल छाया बना ली उसके बाद बच्चों की जिम्मेदारी छाया को सौंपकर खुद तपस्या पर बैठ गई। स्वर्ण एक छाया थी जिसके कारण उसे सूर्य देव के तेज से कोई परेशानी नहीं होती थी। ऐसे में छाया और सूर्य देव ने तीन संतानों को जन्म दिया जिनका नाम तपती, भद्रा और शनि हैं।
शनि देव के जन्म के बाद क्या हुआ
छाया ने सूर्यदेव को कभी भी संदेह नही होने दिया कि वह संज्ञा की छवि है। संज्ञा की छाया ने बाद में जब शनिदेव को जन्म दिया तो सूर्यदेव को शक हुआ कि शनिदेव उसका पुत्र नहीं हैं। जब शनि देव की क्रोधपूर्ण दृष्टि उन पर पड़ी तो सूर्यदेव भी काले पड़ गये। उस समय, सूर्य देव काला चेहरा लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे।
शिवजी ने उन्हें स्थिति से रूभ रूह कराया। तब सूर्य देव को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने छाया से माफी मांगी। लेकिन इस घटना के बाद शनिदेव और सूर्य के बीच शत्रुता पैदा हो गई।
शनि देव का प्रकोप
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि और सूर्य एक ही घर में बैठे हों तो उस व्यक्ति के अपने पिता या पुत्र से संबंध कटु होते हैं। शनिदेव भगवान शिव के भक्त हैं। उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है। यदि सूर्य और शनि एक ही घर में होते तो घोर तबाही मच जाती।