हरियाणा के जींद जिले में पराली जलाने के मामलों में इजाफा हो रहा है। इससे हवा जहरीली होने लगी है। जिले का एक्यूआई 200 के पार हो गया है। इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ने लगा है। सांस रोगियों की परेशानी भी बढ़ गई है। इसके बाद भी पराली जलाने पर अंकुश नहीं लग रहा है। पिछले 15 दिनों में जिले में पराली जलाने के 36 मामले सामने आ चुके हैं और प्रशासन ने संबंधित किसानों से 82 हजार 500 रुपये जुर्माना भी वसूल किया है।
पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले उचाना और नरवाना क्षेत्र में आए हैं। इससे साफ है कि नरवाना और उचाना के किसान स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है जो कि पराली जला रहे हैं। जिले में अब तक 36 जगह पराली जलाने की घटनाएं हो चुकी हैं। ये घटनाएं पिछले 15 दिनों में ही हुई है। हालांकि पिछले साल धान के पूरे सीजन में पराली जलाने के सिर्फ आठ मामले ही आए थे जबकि अभी तक धान का कार्य 25 प्रतिशत ही हुआ है और अभी तक 36 मामले आ चुके हैं।
82 हजार 500 रुपये जुर्माना किया गया वसूल
ब्लॉक के आंकड़ों के अनुसार अलेवा से दो जबकि पिल्लूखेड़ा और जींद से एक-एक मामला आया हैं। इसके अलावा सफीदों में छह मामले, नरवाना में 13 और उचाना में 13 मामले आए हैं। खास बात यह है कि जुलाना ब्लॉक में अभी तक एक भी पराली जलाने का मामला नहीं आया है। अब तक प्रशासन पराली जलाने पर 36 किसानों से 82 हजार 500 रुपये जुर्माना वसूल कर चुका है।
शाम की हवा ज्यादा दूषित
पराली जलाने का असर शाम को ज्यादा दिखाई देता है। क्योंकि शाम के समय खुले में जाने पर आंखों में जलन होने लगती है। वहीं सांस लेने में भी दिक्कत आती है जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। किसान शाम के समय और रात में पराली जलाते हैं। हालांकि एसडीएम जींद के नेतृत्व में टीम दिन और रात तत्पर रहती है। जहां पर भी खेतों में आग लगने की सूचना मिलती है तो वहां तुरंत पहुंच जाती है। वहां सत्यापन कर संबंधित किसान पर जुर्माना लगाया जाता है। ढाई एकड़ तक जुर्माना 2500 रुपये, पांच एकड़ तक जुर्माना 5 हजार रुपये और पांच एकड़ से ऊपर 15 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाता है।
प्रदूषित हवा से बिगड़ने लगा स्वास्थ्य
जिले का एक्यूआई स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता जा रहा है। जिले का एक्यूआई 200 के पार हो चुका है, जो स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालने लगा है। जैसे-जैसे एक्यूआई बढ़ता चला जाएगा तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता चला जाएगा। 50 तक एक्यूआई अच्छा रहता है। इसके बाद एक्यूआई 50 से 100 तक मध्यम रहता है। 100 से 200 के बीच एक्यूआई स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं रहता। 200 से 300 तक एक्यूआई पहुंचने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है। 300 से 400 तक पहुंचने पर ज्यादा हानिकारक होता है और 400 से ऊपर एक्यूआई खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसान देह हो जाता है।
इन दिनों सभी करें मास्क का प्रयोग
डॉ. राजेश का कहना है कि एक्यूआई का बढ़ना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इसका ज्यादा असर सांस के रोगियों और बच्चों पर होता है। इससे बचने के लिए बुजुर्गों और बच्चों को खास ध्यान रखना होगा। बुजुर्ग घर से बाहर कम निकलें। यदि निकलें तो मास्क का प्रयोग करें। इन दिनों में तकरीबन सभी को मास्क का प्रयोग करना चाहिए। धान की पराली जलाना गैरकानूनी है। यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। किसानों से आह्वान है कि वह पराली न जलाएं बल्कि उसको बेचकर आमदनी का जरिया भी बनाएं। यदि फिर भी कोई व्यक्ति पराली जलाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। -इमरान रजा, डीसी, जींद।